क्या छठ की दर्दनाक घटना को भूल गए आप...
सरोज कुमार"...माना तो ये भी जा रहा है कि ठीक उसी दौरान सुशासन बाबू को गांधी घाट पर एक छठ के कार्यक्रम में जाना था। अब इसी रास्ते से इन्हें गुजरना था तो भला सिक्योरिटी का ध्यान और कहां रहता। सारा का...
View Article‘आम’ पार्टी से खास ट्रीटमेंट!
सत्येंद्र रंजन"...क्या भारत में ऐसी सियासत के सफल होने की उम्मीद है? एक व्यक्ति में मुक्ति देखने की प्रवृति जब तक समाज में मौजूद है, इस संभावना को सिरे से नहीं नकारा जा सकता। इसके बावजूद भारतीय...
View Articleचीन की आर्थिक नीतियों के अंतर्विरोध और जिनपिंग की मुश्किलें
कृष्ण सिंह"...दरअसल, चीन में इस समय आर्थिक नीतियों के कारण सामाजिक स्थितियां ज्यादा जटिल हो रही हैं। जिसके चलते जियांग जेमिन और हू जिंताओ के बजाय जिंगपिंग के लिए अगले दस साल ज्यादा मुश्किलों से भरे...
View Articleहाशिए पर फिलिस्तीनी आजादी का मुद्दा
अभिनव श्रीवास्तव "...दरअसल इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के संदर्भ में तात्कालिक रूप से हमास की भूमिका को उसके कट्टरपंथी इतिहास के बावजूद ठीक वैसे नहीं देखा जा सकता जैसे अलकायदा या किसी और मुस्लिम चरमपंथी...
View Articleआज ये जरूरी है कि पत्रकार एक स्टैंड ले : राहुल पंडिता
(समकालीन भारतीय पत्रकारिता में 'राहुल पंडिता' प्रतिबद्धता की पत्रकारिता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण नाम है. ढेर सारे मीडिया संस्थानों में काम करने के बाद इन दिनों वे अंग्रेजी की साप्ताहिक पत्रिका ओपन में...
View Articleनेशनल हेरल्ड, कांग्रेस और दो हज़ार करोड़ का घोटाला
भूपेन सिंह"...कांग्रेस की तरफ़ से महासचिव जनार्दन द्विवेदी का बयान आया कि कांग्रेस ने नेशनल हैरल्ड को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए नब्बे करोड़ का लोन दिया था क्योंकि उसके लिए अख़बार का फिर से निकलना...
View Articleमस्जिद ढहने के बीस साल बाद
सत्येंद्र रंजन"...यह नहीं कहा जा सकता कि वह पूरा संदर्भ अब बदल गया है। भाजपा आज भी देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी है। उसने उन मु्द्दों को नहीं बदला है, जिनके आधार पर वह अपनी खास पहचान परिभाषित करती है।...
View Article'प्रतिरोध का सिनेमा' चौथा पटना फिल्मोत्सव आज से
दिन- 7,8 और 9 दिसंबर / स्थान- कालिदास रंगालयइस बार भारतीय सिनेमा के सौ साल और दलित प्रश्नों पर केंद्रित-पटना से सरोज कुमारऐसे समय में जब समाज से प्रतिरोध के स्वर खत्म करने की साजिशें चल रही हैं।...
View Articleरिलायंस के हाथ 'बनाना' लोकतंत्र
कृष्ण सिंह"...यदि स्टॉक एक्सचेंज अंबानी को बेनकाब करने की हिम्मत करता है, वह कहते हैं, 'मैं अपनी कंपनी के शेयर निकाल लूंगा और तुम्हें ढहा दूंगा। मैं तुम्हारे एक्सचेंज से बड़ा हूं।' यदि अखबार आलोचना...
View Articleजहरीली शराब कांड: पीने वाले दोषी हैं या बेचने वाले?
सुधीर सुमन15 दिसंबर को बिहार में अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा, भाकपा-माले की ओर से शराबबंदी की मांग को लेकर चक्का जाम का आंदोलन आयोजित किया गया और शाहाबाद बंद आयोजित किया गया। विगत 6 से 10 दिसंबर को...
View Articleये मुखाल्फ़त का दौर है, ये जीतने की शुरुआत है...!
आशीष भारद्वाज"...शाम पांच बजते ही सैंकड़ों की संख्या में लोग इंडिया गेट पर जमा होकर अपने गुस्से का इज़हार कर रहे थे. सवा छः बजे छात्र-नौजवानों का ये हुजूम राजपथ को लगभग रौंदते हुए रायसिना हिल की तरफ...
View Articleदिल्ली बलात्कार कांड : यही तो समाधान का समय है...
"दिल्ली की पाशविक घटना ने सभ्य समाज के सामने एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है | हम सब स्तब्ध हैं , और दुखी भी | इस मुतल्लिक उपजे कुछ विचारों को मैंने जैसे-तैसे कल रात ही कलमबद्ध किया है, और जिन्हें...
View Articleक्या असल दोषी को सजा दे पायेंगे हम?
"...गौर किया जाय तो उस लड़की का बलात्कार तो अब शुरू हुआ है। उसे उन दरिंदों ने उतना दुःख और यातना नहीं दी होंगी, जिसे देने के लिए हम सब तड़प रहे हैं। आने वाले दिनों में हम उन 95 हजार स्त्रियों का जीना...
View Articleऔर दुनिया खत्म नहीं हुई!
देवेन मेवाड़ी"...सच यह है कि माया कैलेंडर को सही ढंग से पढ़ा ही नहीं गया है। माया सभ्यता के कैलेंडर का गहन अध्ययन करने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले की मानव-विज्ञानी रोजालिंड जॉयस का कहना...
View Articleमहिलाओं, छात्र-युवाओं, श्रमिक संगठनों और सांस्कृतिक संगठनों ने मनाया...
"...पुलिसका यह कहना कि 'हम गैंगरेप के आरोपियों के खिलाफ कार्रवार्इ कर रहे हैं, तो फिर आंदोलन क्यों किया जा रहा है' यह इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार और प्रशासन चाहती है कि मामला इसी घटना तक ही...
View Articleमीडिया को बस 'फांसी' लुभाती है...
दिलीप ख़ान"...सवालये है कि ऐसे मामलों को कवर कर रहा मीडिया अगर अपना नज़रिया भी ख़बरों में लादता है तो उसकी दिशा क्या होनी चाहिए? मीडिया हाउस में या फिर समाज के इर्द गिर्द यदि ‘लिंग काट लेने’, ‘चौराहे...
View Articleप्रोटेस्ट को कवर करने आये मीडिया कर्मियों की एक पड़ताल
केशव कुमार "...इसी बीच कुछ टीवी चैनल पर समाचार 'चमके' कि ‘असामाजिक तत्व हैं प्रोटेस्ट में’, ‘पुलिस पर पथराव किया गया है’ ‘हिंसक हो रहे हैं लोग’, ‘सुरक्षा घेरा तोडा जा रहा है’, ‘पुलिस तो बचाव कर रही...
View Articleमुख्यमंत्री की 'पांच लाख' की 'संवेदना' का सच!
इन्द्रेश मैखुरी"...क्या संवेदनशीलता ऐसी चीज हो सकती है,जो एक जैसे ही कई मामलों में अलग-अलग स्तर पर नजर आती हो?जो मामला मीडिया की सुर्खियाँ बन जाए उसमें संवेदनशीलता का स्तर अत्याधिक बढ़ जाए और मामला...
View Articleकविता : ...और भी करीब आएँगे वे!
-मृत्युंजय भास्कर तुम्हारे पास डंडे हैंआंसू गैस हैतेज पानी की बौछारें हैंहूटर लगी तुम्हारी गाडिय़ां कर रही 144 का ऐलानपुलिस के पीछे है रिजर्व पुलिसउसके पीछे अर्धसैनिक और फौजबंदूक, गोले, तोपें,...
View Articleअसल मुद्दा है बलात्कार की मानसिकता
-सत्येंद्र रंजनसत्येन्द्र रंजन"...जबकि मृत्युदंड अगर बलात्कार सहित किसी भी अपराध को रोकने में सहायक होता, तो समाज को काफी पहले अपराध-मुक्त बनाने में सफलता मिल गई होती। अतीत में और आज भी दुनिया के बहुत...
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