-मृत्युंजय भास्कर |
तुम्हारे पास डंडे हैंआंसू गैस हैतेज पानी की बौछारें हैंहूटर लगी तुम्हारी गाडिय़ां कर रही 144 का ऐलानपुलिस के पीछे है रिजर्व पुलिसउसके पीछे अर्धसैनिक और फौजबंदूक, गोले, तोपें, लांचर.
तुम दूरबीनों से देख लेते
हो विरोधी टुकडिय़ों को आते हुएतुमने पूरे शहर में लगा रखे हैं हजारों हजार खुफिया कैमरेतुम्हारी ताकत का अंदाजा नहीं.
मगर तुम क्यों नहीं रोक पा रहे उनको फिर से आने सेवे पिटते हैं तुम्हारे हाथों मगर नहीं टूटता उनका हौंसलापता नहीं कितनों की हड्डियां तोड़ चुके हो तुमकितनों का थोबड़ा खराब कर चुके तुम्हारे बहादुर जवानतुम चूक चुके हो भारत सरकार.
तुमने,तुम सबों ने जनता का भरोसा खो दिया हैतुम रंगे सियार मत दो उलाहना.आखिर कितनी उलाहनाकितनी दलीलें?कितने आश्वासन?उस सब का जिक्र मत करवाओलाखों लाख पन्नों में लिखे जा सकते हैं तुम्हारे गुनाह.अब ये लश्कर नहीं थमेंगेवे कोई नहीं हैंनिखालिस साधारण लोग हैंजिन्होंने बहुत धैर्य दिखायारायसीना हिल्स चढऩे मेंअब तक वे आते थे जंतर मंतरऔर पूरे कायदे से.तुम सुनना भूल चुके थेइसलिए और करीब आए हैं.
सावधान ! वे और भी करीब आएंगे तुम्हारे.वे एक दिन नहींया किसी तय समय पर नहीं आएंगे.
हां, नहीं है उनके पास इस बार कोई नेतासंवैधानिक सीमाएं.उनके सारे स्पार्टाकस डाल दिए हैं तुमने सलाखों के भीतरया मार डाला उन्हें जंगलों में फर्जी एनकाउंटर कर.
मगर देखो तुम्हारा वहम गलत निकलाबगावतें नहीं थामी जा सकतींवे हो सकतीं हैं सीसी मेंबरों के बगैर.
तुम तो महज देख रहो हो अभी दिल्लीकस्बों-गांवों में जो धुंआ उठ रहा है उसका क्या करोगे? बुरी तरह टूट चुके हैं तुम्हारे सैनिकों के हौंसलेवे बात-बात में आपा खो बैठते हैंमत समझना वे तुम्हारे पालतू कुत्ते हैंरोज-रोज की झकझक से आजिज आकर एक दिन वो तुम्हीं पर गुर्राने लगेंगेऔर ऐसा निश्चित रूप से होगा.अखबारो तुम भी चुप करो! तुम्हारी सनसनियां नहीं ये जो घट रहा है रोज तुम थक जाओगे स्याही खराब करओ मसखरे चैनलो! बंद करो गिटर-पिटरतुम्हारी लपलपाती जीभ पर बहुत चढ़ चुका है टीआरपी सना रक्तखून पीना बंद करो!
जनता भूलती नहीं हैबहुत पुरानी लड़ाई है ये, जो सडक़ों पर सनक आई है.सालों पुराना गुस्सा हैये नहीं थमेगा शेयर बाजार के गिर जाने और ढह जाने की चिंताओं में.यह बढ़ा आ रहा है सीवर लाइनों की तरह बास मारता हुआउस मामूली लडक़ी ने निकाल दिया है मुल्क की सबों लड़कियों को दहलीज से बाहरतुम्हारी ताकत से उनका भरोसा उठ चुका है.
वे नहीं मांगेंगी अब कभी पुलिस की मददअब ये वो नहीं रही जो सडक़ पर छेड़े जाने से डरेंगीउनके भीतर की आग बहुत है अत्याचारियों को जला देने के लिएतुम अपने वजूद की सोचोओ राजाओ?भागोगे कहां तकजनता उमड़ी आ रही है...
हो विरोधी टुकडिय़ों को आते हुए
मगर तुम क्यों नहीं रोक पा रहे उनको फिर से आने से