कैसे महसूस हो सुरक्षा?
-सत्येन्द्र रंजन नरेंद्रभाई मोदी 16 मई को लोकसभा चुनाव में अपनी अप्रत्याशित और सबको चौंकाने वाली जीत के बाद जब विजय संबोधन के लिए वडोदरा में...
View Articleकैसे महसूस हो सुरक्षा?
-सत्येन्द्र रंजनसोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में गोवा के देवू चोडानकर और कर्नाटक के सैयक वकास को जिन मुसीबतों से गुजरना पड़ा है, वह तो जग-जाहिर है। मोहसिन सादिक की...
View Articleसुप्रीम कोर्ट से बरी 'आतंकियों'की कहानी
सुनील कुमार-सुनील कुमार"...मोदी के नेतृत्व में जिस दिन (16 मई) बीजेपी को पहली बार पूर्ण बहुमत मिल रहा था उसी दिन भारत के ‘सर्वोच्च न्यायालय’ (सुप्रीम कोर्ट) ने अक्षरधाम केस में फैसला सुनाया और सभी 6...
View Articleये कैसे संकेत हैं?
-सत्येन्द्र रंजन "...हम सत्ता का एक हाथ में अति संकेंद्रण होते देख रहे हैं। इस परिघटना के समर्थक कह सकते हैं कि नरेंद्र मोदी ने चुनाव राष्ट्रपति शैली में जीता है, इसलिए उन्हें उसी ढंग से शासन करने का...
View Articleखेल शुरू हो चुका है...
-आनंद तेलतुंबड़ेअनुवाद-रेयाज उल हकगरीबों-उत्पीड़ितों की हिमायत के ऐलान के साथ मोदी सरकार के बनते ही भगाणा के आंदोलनकारी दलित परिवारों को जंतर मंतर से बेदखल करने की कोशिशों और पुणे में एक मुस्लिम...
View Articleधारा 370: भाजपा और उसके मिथक
-अनिल यादव"…जहां तक राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह का कुछ सीटों और वोट प्रतिशत का हवाला देकर धारा 370 कीसमाप्ति की बात करते हैं तो उन्हें यह जानना चाहिए कि भारत सरकार ने नोटाके अधिकार को जम्मू और कश्मीर...
View Articleप्रहार एनजीओज या असहमति पर?
-सत्येन्द्र रंजन "...खुद आईबी की रिपोर्ट यह मानती है कि गैर सरकारी संगठन लोगों से जुड़ी चिंताओं का इस्तेमाल करते हैं। क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह पहले लोगों की इन...
View Articleहे IRCTC ! ट्रेन का टिकिट मांगा है, लोकसभा का नहीं...
- Umesh Pant"... O Luhpth Gamini travel service sheet Purwvrn Pradayini Tgini you do not like Maya. You're not a Lok Sabha ticket demand. Tickets from Delhi to Mumbai for the third ac why we're...
View Articleगैर-बराबरी तो फिर अमन कैसे?
-सत्येंद्र रंजन "...थॉमस पिकेटी की किताब ने दुनिया में बहस का रुख मोड़ दिया है। अपने देश के हुक्मरानों को भी आमदनी एवं संसाधनों के न्यायपूर्ण पुनर्वितरण पर अब सोचना होगा। वरना, वे देश में अशांति को...
View Articleअलोकतांत्रिक जमीन तैयार करती सरकार
-अंशु शरण"...बहुमत लेकर आई यह सरकार अपने शुरुआत में ही एक अलोकतांत्रिक जमीन तैयार कर रही है. और असहमति की आवाजों को लगातार कुचलने की तैयारी की जा रही है…"साभार- बामुलाहिज़ासरकार गठन के महज एक महीने भीतर...
View Articleइराक संकट : मुल्के शाम की सुबह आख़िर कब?
-आदिल रजा खान"...बीते दो हफ़्तों के दरम्यान आईएसआईएस जैसे चरमपंथी संगठन का किसी इतने बड़े देश की सत्ता और सैन्य ताक़त को चुनौती देना बेहद चौंकाने वाली बात है. दरअसल आईएसआईएस आतंकी संगठन अलक़ायदा की...
View Articleजनमत और चुनाव नतीजों का फर्क
-सत्येंद्र रंजन"...राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो कांग्रेस को इस बार दस करोड़ 69 लाख वोट मिले। 2009 की तुलना में उसके वोटों में लगभग एक करोड़ 22 लाख की गिरावट आई है। लेकिन यह अंतर इतना नहीं है, जिससे तब...
View Articleइतिहास मरता नहीं, बल्कि सवाल करता है...
-अनिल यादव('पलासी से विभाजन तक'के बहाने)प्रो. शेखर बंधोपाध्याय"...2004में प्रकाशित ‘पलासी से विभाजन तक’ को दीनानाथ बत्रा द्वारा आईपीसी की धारा 295ए के तहत कानूनी नोटिस भेजा गया है और कहा गया है कि...
View Articleध्रुवीकरण की राजनीति में गुम अस्मिताएं
-अरविंद शेष "...इसलिएकम से कम यह न कहा जाए कि लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत ने साबित किया है कि जाति की राजनीति खत्म हो गई। जाति या अस्मिता की राजनीति खत्म नहीं हुई। बल्कि वह ज्यादा बड़ी अस्मिता में...
View Articleआपकी अदालत में आपके लिये भी तो कोई कठघरा हो.. ?
-उमेश पंत“और ये जो नया काम आपने शुरु किया है ज़रा बताइये कि इसका न्यूज़रुम से क्या सरोकार है ? इस नये काम को क्या कहते हैं क्या आप जानते हैं ? रितु धवन, अनिता शर्मा और प्रसाद जिनका नाम तनु ने अपने...
View Articleचियर्स फॉर फ्रीडम !
-केशव भट्ट"...रातके भोजन के वक्त मीठा भाई ने वोदका से भरे पैमाने को हवा में हमारी ओर लहराते हुए जब ‘चियर्स फॉर फ्रीडम’ कहा तो हमारे लिये असमंजस की स्थिति हो गई। नशे में धुत होने के बावजूद मीठा भाई...
View Article'अच्छे दिन'और 'गोरा बनाने वाली क्रीम'...
-पलाश विश्वास"…आंकड़ों और परिभाषाओं से जब अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकते हैं, तो बजट की कवायद आखिर क्यों है और जब नीतिगत घोषणाएं बजट से पहले हो जाती है तो संसद में बजट पेश करने का औचित्य नवधनाढ्यों को...
View Articleपुलिस से अलग हो विवेचना ईकाई
-राजीव यादव"...यह कोई भूल नहीं बल्कि सत्ता व पुलिस का गठजोड़ है जो एक दूसरे के मनोबल के प्रति इतना फिक्रमंद होता है कि आम नागरिक का मनोबल सर न उठा सके। इस पूरे मनोबल को बचाने में विवेचनाधिकारी लगा रहता...
View Articleसिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड- 1
-अभिषेक श्रीवास्तवपिछले महीने मीडिया में लीक हुई एक 'खुफिया'रिपोर्ट में भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं के ऊपर विदेशी धन लेकर देश में विकास परियोजनाओं को बाधित करने का आरोप...
View Articleसिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड-2
-अभिषेक श्रीवास्तवपिछले महीने मीडिया में लीक हुई एक 'खुफिया'रिपोर्ट में भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं के ऊपर विदेशी धन लेकर देश में विकास परियोजनाओं को बाधित करने का आरोप...
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