सिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड-3
-अभिषेक श्रीवास्तवपिछले महीने मीडिया में लीक हुई एक 'खुफिया'रिपोर्ट में भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं के ऊपर विदेशी धन लेकर देश में विकास परियोजनाओं को बाधित करने का आरोप...
View Articleसिंगरौली: इंसान और ईमान का नरक कुंड - आखिरी किस्त
-अभिषेक श्रीवास्तवपिछले महीने मीडिया में लीक हुई एक 'खुफिया'रिपोर्ट में भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं के ऊपर विदेशी धन लेकर देश में विकास परियोजनाओं को बाधित करने का आरोप...
View Articleफ़ीफ़ा का तमाशा और कॉमेडी नाइट्स विद कपिल
-श्वेता रानी खत्री"…ब्राज़ील में बच्चों के स्कूल ज़रूरी थे या फिर महंगे फ़ुटबॉल स्टेडियम? ये एक बहुरूपिया बहस है. मैच फिक्सिंग का विरोध करें या फिर खेल भावना के नाम पर आई.पी.एल. को सहते जाएं? अश्लील...
View Articleएक औरत के मन तक ले जाती फिल्म : A woman under influence
-उमेश पंत"...मेबल नाम की एक अधेड़ महिला के इर्द गिर्द घूमने वाली इस फिल्म को देखना एक स्त्री के मनोभावों की दुनियां में नंगे पांव घूम आने सा अनुभव है। वो दुनियां जिसकी धरती कहीं पावों को गुदगुदाती है,...
View Articleबलात्कार का समाजशास्त्र
डॉ. मोहन आर्या-डॉ.मोहन आर्याबैंगलौर में एक बच्ची के साथ हुए एक जघन्य बलात्कार के बाद उभरे आंदोलन ने भी दिल्ली गैंग रेप के खिलाफ उमड़े आंदोलन की ही तरह समाज को झकझोरने की कोशिश की है. लखनऊ से भी एक महिला...
View Articleमृत्युदंड के नकार का तर्क
-डाॅ. प्रभात उप्रेतीडाॅ. प्रभात उप्रेतीबैंगलौर में एक बच्ची के साथ और लखनऊ में एक महिला के साथ हुए जघन्य बलात्कार के बाद उभरे आंदोलनों ने भी दिल्ली गैंग रेप के खिलाफ उमड़े आंदोलन की ही तरह समाज को...
View Articleअपराध और दंड : किशोर न्याय का सवाल
-कंचन जोशीकंचन जोशीबैंगलौर में एक बच्ची के साथ और लखनऊ में एक महिला के साथ हुए जघन्य बलात्कार के बाद उभरे आंदोलनों ने भी दिल्ली गैंग रेप के खिलाफ उमड़े आंदोलन की ही तरह समाज को झकझोरने की कोशिश की है....
View Articleपरीक्षा परिणाम में देरी से नहीं बच रहा छात्रों का साल
- संजय कुमार बलौदिया"...एक बात तो यह स्पष्ट होती है कि उत्तरपुस्तिकाओं का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं होता है। दूसरी बात यह है पुनर्मूल्यांकन व्यवस्था के जरिए एक तरफ छात्रों को लूटा जा रहा और वहीं...
View Article'अच्छे दिनों'का टूटता भ्रम : उत्तराखंड उप-चुनाव परिणाम
-रोहित जोशी"...दरअसल, इस हार में छिपे संकेत और निहितार्थ सिर्फ उत्तराखंड की क्षेत्रीय राजनीति के लिए ही नहीं बल्कि देश की राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी हैं. मोदी चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अपनी सफल...
View Article'नये दौर'और 'नये मोदी'की तफतीश...
अभिनव श्रीवास्तव-अभिनव श्रीवास्तव"...ऊपर दिये गये विवरणों के आधार पर ये प्रश्न सहज उठ सकता है कि आखिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बगैर कोई राजनीतिक कीमत चुकाये ऐसे निर्णय क्यों ले पा रही...
View Articleग़ज़ा के नरसंहार पर भारत की चुप्पी की वजह...
-कविता कृष्णपल्लवी"...1980के दशक तक भारत फिलिस्तीनी मुक्ति का समर्थक माना जाता था। इस्रायल से उसने राजनयिक सम्बन्ध तक नहीं बनाया था। नरसिंह राव सरकार के शासनकाल के दौरान नवउदारवादी नीतियों की...
View Articleइच्छामृत्यु : एक जटिल प्रश्न
अंजुम शर्मा-अंजुम शर्मा"…पिछले कुछ वर्षों में भारत में आर्थिक तंगी के चलते इलाज न करा सकने वाले कई व्यक्तियों और परिवारों ने इच्छामृत्यु की अनुमति के लिए जिला कलेक्टर, राज्य सरकारों से लेकर राष्ट्रपति...
View Articleकैसे याद किया जाय नबारुण भट्टाचार्य को..जबकि शब्द न हों
-संदीप सिंहनबारुण भट्टाचार्यमुक्तिबोध मदद करते हैं. दोनों ने सिखाया, नफरत करनी क्यों आनी चाहिए और किससे. और इसके आये बिना सब मनुष्यता,पेड़-प्रेम, जंतु-प्रेम, प्रेम-प्रेम नकली है,अधूरा है, झांसा है और...
View Article'सी सैट'और भाषा का सवाल
-कविता कृष्णपल्लवी"...भारतीय भाषाओं में शासकीय कामकाज और अध्ययन शोध का सवाल भारतीय समाज के जनवादीकरण (डेमोक्रेटाइजेशन) का अहम मुद्दा है। साथ ही, यह हमारी सर्जनात्मक क्षमता और कल्पनालोक की मुक्ति...
View Article'काल तुझसे होड़ है मेरी', मानो यही कह रहे वीरेन दा...
-भास्कर उप्रेेती(कल कवि वीरेन डंगवाल का जन्मदिन था. पिछले कुछ समय से अपनी खराब तबियत से जूझ रहे वीरेन दा इधर इंद्रापुरम (गाजियाबाद) में रहने लगे हैं. खूब लिख रहे हैं.. पढ रहे हैं.. 'समकालीन तीसरी...
View Articleमोदी की नेपाल यात्रा और नेपाली नेतृत्व का हीनता बोध
आनंद स्वरूप वर्मा-आनंद स्वरूप वर्मा शायद ही किसी देश का समूचा नेतृत्व इस कदर हीनताबोध का शिकार हो जैसा मोदी की यात्रा के दौरान नेपाल में देखने को मिला। संविधान सभा भवन में मोदी के भाषण के दौरान एक...
View Articleफ़ीफ़ा का तमाशा और कॉमेडी नाइट्स विद कपिल
-श्वेता रानी खत्री"…ब्राज़ील में बच्चों के स्कूल ज़रूरी थे या फिर महंगे फ़ुटबॉल स्टेडियम? ये एक बहुरूपिया बहस है. मैच फिक्सिंग का विरोध करें या फिर खेल भावना के नाम पर आई.पी.एल. को सहते जाएं? अश्लील...
View Articleनबारूण भट्टाचार्य : एक राजनीतिक रचनाकार
- प्रणय कृष्ण"...एक मार्क्सवादी बुद्धिजीवी के रूप में नबारून दा के चरित्र की दृढ़ता उनके एक्टिविज्म और रचनाकर्म में ही नहीं, देश-दुनिया में दमन-शोषण और मानवद्रोह की तमाम वारदातों के खिलाफ व्यक्तिगत...
View Articleउत्तराखंड : फिर बरसात और फिर आपदा
इन्द्रेश मैखुरी-इन्द्रेश मैखुरी "...यह सिर्फ एक नौताड़ का ही किस्सा नहीं है. पहाड़ में जितनी बसासतें पिछले दस-बीस सालों में अस्तित्व में आई हैं,वे इसी तरह से खतरे के मुहाने पर खड़ी हैं. दरअसल पहाड़ में...
View Articleक्यों हाशिये पर योजना आयोग?
सत्येंद्र रंजन-सत्येंद्र रंजन "…महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या नए मॉडल से सचमुच देश के वास्तविक विकास का रास्ता निकलेगा?इस बिंदु पर आकर यह प्रश्न अहम हो जाता है कि आखिर विकास का मतलब क्या है?क्या...
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