'पर्यावरण'को 'प्रोडक्ट'और 'पर्यावरण मंत्रालय'को ‘क्लियरेंस’ मंत्रालय'बनाने की...
-अविनाश कुमार चंचलअविनाश कुमार चंचल"...लोकसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से और उद्योगपतियों का झुकाव मोदी की तरफ होता देख कांग्रेस ने कॉरपोरेट घरानों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया, जिसका असान...
View Articleगणतंत्र या गनतंत्र
सुनील कुमार-सुनील कुमार"...जिस दिन मीडिया लगातार बतला रहा है कि देश 65 वां गणतंत्र मना रहा है ठीक उसी दिन मारूति सुजूकि के 148 मजदूरों की रिहाई को लेकर मजदूर व उनके परिवार जनजागरण यात्रा के 11वें दिन...
View Articleसामाजिक/आर्थिक विभाजन को नजरअंदाज करती है 'आप'
दीपांकर भट्टाचार्य-दीपांकर भट्टाचार्यअनु.- विपिन शुक्लाभारतीय राजनीति में एक नई परिघटना के तौर पर प्रचार पा रही 'आम आदमी पार्टी'पर, सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के इस आलेख के कुछ...
View Articleएक आंदोलन के अंतिम पलों की गवाही
अभिषेक श्रीवास्तव-अभिषेक श्रीवास्तवमारुति प्रबंधन के सताए मज़दूरों के जले पर नमक छिड़क गए योगेंद्र यादव "...योगेंद्र कहते हैं कि उनके पास दो-तीन बार मारुति कामगारों का डेलीगेशन गया था, लेकिन उनके...
View Article13 साल, 8 मुख्यमंत्री और नतीजा सिफर
इन्द्रेश मैखुरी-इन्द्रेश मैखुरी"...राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर लगातार मचे रहने वाले इस रार के पीछे एक वजह कांग्रेस-भाजपा के नेताओं की अति महत्वाकांक्षा भी है. इन पार्टियों में जनहित की...
View Articleमारुती सुजुकी : जब तक खून पियल न जाए
संदीप सिंह-संदीप सिंह"...एक दूसरा प्रचार जो चीख-चीखकर किया जा रहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो हमारे यहाँ निवेश आना आना बंद हो जायेगा. यह सबसे बड़ा झूठ है. दुनिया में वह कौन सी जगह है जहाँ पूंजी और श्रम के...
View Articleनिदो की मौत से उभरे सवाल
अभिनव श्रीवास्तव-अभिनव श्रीवास्तव"...क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि पूर्वोत्तर राज्यों के समुचित प्रतिनिधित्व का प्रश्न अक्सर असहज स्थितियां पैदा करता है? क्या ये सच नहीं है कि वर्गीय और...
View Articleविस्थापन का दर्द
अविनाश कुमार चंचल-अविनाश कुमार चंचल"जिन्दगी तो लाट साब, सब गुजारे ला, लेकिन हम लोग जिन्दगी के घिसट रहल बा”"...बस्ती से थोड़ा अलग हट कर एक छत का लेकिन अधूरा मकान दिखता है। इस मकान के मालिक रामप्रसाद...
View Articleमुजफ्फरनगर हिंसा: कितने सुरक्षित हैं मुसलमान ?
-सैय्यद मो. रागिब और अभय कुमार"...कुछ सप्ताह पहले हमलोगों ने शामली जिले के कैराना के पास लगे कई शविरों में तीन दिन गुजारे। अकबरपुर, सोनाटी, रोटन ब्रिज और मंसूरा गांव से सटे कैम्पों में जो हमने देखा उसे...
View Articleकिसानों का प्रदर्शन, स्वामिनाथन कमिटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग
सुनील कुमार-सुनील कुमार"...पंजाबजो कि हरित प्रदेश के नाम से जाना जाता है वहां किसान कर्ज में गर्दन तक डूबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा किये गये एक सर्वे के...
View Articleएक भूला गया विद्रोह
इन्द्रेश मैखुरी-इन्द्रेश मैखुरी"...हालांकि 18 फरवरी 1946 को एच.एम.आई.एस.(हर मैजेस्टीस इंडियन शिप) तलवार पर यह विद्रोह घटिया नाश्ते के खिलाफ “भोजन नहीं तो काम नहीं” के ऐलान से फूटा,लेकिन इसकी पृष्ठभूमि...
View Articleपढ़ने-पढ़ाने के लोकतंत्र पर प्रहार
-अभिनव श्रीवास्तव"...क्याडोनिगरमामलेकापटाक्षेपजिसरूपमेंहुआ, उसकोदेशकेजनतांत्रिकहलकों,...
View Articleभ्रष्टाचार से लड़ने का छद्म
सत्येंद्र रंजन -सत्येंद्र रंजनदलील दी जा सकती है कि ‘आप’ कम से कम अब उसी “वैचारिक ढांचे की शाखा” नहीं है। आखिर इसमें नरेंद्र मोदी विरोधी शख्सियतें, जन आंदोलनों के नेता, समाजवादी- यहां तक नक्सलवादी...
View Articleफंड्री : दलित सिनेमा का उत्सव
अतुल आनंदअतुल आनंद"...इस फ़िल्म को बस एक प्रेम-कहानी मान लेने की भूल नहीं करनी चाहिए. यह फ़िल्म एक दलित के प्यार के सामाजिक यथार्थ को दिखाती है. फ़िल्म गहरे सामाजिक-राजनीतिक अर्थ रखती है. फ़िल्म में ऐसे...
View Article“कोदा-झंगोरा खायेंगे,भ्रष्टाचारी-दुराचारी-दंगाईयों को सिर-माथे पर बैठाएंगे”
-इन्द्रेश मैखुरीइन्द्रेश मैखुरी"...उत्तराखंड आन्दोलन के दौरान 02 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर काण्ड हुआ,जिसमें दिल्ली जाते हुए आन्दोलनकारी पुरुषों पर पुलिस ने गोलियां चलायी और महिलाओं के साथ बलात्कार...
View Articleपुस्तक लोकार्पण : 'उम्मीद की निर्भयाएं'
दिल्ली गैंग रेप की झकझोर देने वाली घटना और उसकी प्रतिक्रिया में उभरे आंदोलन के उबाल ने समाज को बलात्कार के प्रति नए सिरे से विमर्श करने को मजबूर किया था। प्रगतिशील और प्रतिगामी विोचारों की भिडंत भी इस...
View Articleजेएनयू में 'उम्मीद की निर्भयाएं'का हुआ लोकार्पण
-praxis प्रतिनिधिअंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जेएनयू फ़िल्म क्लब की ओर से, जेएनयू के माही-मांडवी लॉन में आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकार praxis की किताब 'उम्मीद की निर्भयाएं'का लोकार्पण किया...
View Articleशुरुआत ‘मासिक धर्म’ की या गुलामी की ?
-उमेश पंत"...13 साल के होते ही जब एक लड़की यौवन की दहलीज़ पर कदम रखती है, उसे घर दहलीज़ से बाहर निकलने की मनाही हो जाती है। मासिक धर्म की शुरूआत जैसे श्राप बनकर उसकी जिन्दगी में आती हो। पर सलमा भीतर से...
View Articleक्या सिर्फ धनिकों का है लोकतंत्र?
इन्द्रेश मैखुरी-इन्द्रेश मैखुरी "...भारत में जिस तरह चुनाव लड़ने के लिए भारी भरकम नामांकन शुल्क तय कर दिया गया है और खर्च करने की सीमा भी बढ़ा दी गयी है, उससे लगता है कि लोकतंत्र को कुछ धनाड्य...
View Articleदरअसल इतिहास बता नहीं छुपा रही है भाजपा
अनिल यादव -अनिल यादव"…राष्ट्र और राष्ट्रीयता का दम भरने वाली भाजपा अक्सर कहती है कि संघ परिवार के नेता स्वतन्त्रता आन्दोलन के सक्रिय सेनानी हैं। अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी तक को भारत छोड़ो...
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