Quantcast
Channel: पत्रकार Praxis
Viewing all articles
Browse latest Browse all 422

भ्रष्टाचार से लड़ने का छद्म

$
0
0
सत्येंद्र रंजन
 -सत्येंद्र रंजन

दलील दी जा सकती है कि आप कम से कम अब उसी वैचारिक ढांचे की शाखा नहीं है। आखिर इसमें नरेंद्र मोदी विरोधी शख्सियतें, जन आंदोलनों के नेता, समाजवादी- यहां तक नक्सलवादी पृष्ठभूमि से आए कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इन सबकों को जोड़ने वाला प्रमुख तत्व भ्रष्टाचार विरोध है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है?…" 



साभार- http://www.thehindu.com/
क्याआम आदमी पार्टी (आप) भ्रष्टाचार से लड़ रही है? इस पार्टी का यही दावा है और सचमुच बहुत से लोग इसमें यकीन करते हैं। सच्चाई तो यह है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आप नेताओं ने अपने समर्थकों के बीच एक उन्माद जैसा माहौल बना रखा है। नतीजतन, दूसरों को भ्रष्ट करार देने और खुद को स्वच्छ बताने के उनके बयानों पर विश्वास कर लेने वाले लोगों की कमी नहीं है। यहां तक कि आरंभिक दौर में आप नेताओं द्वारा खुद को ईमानदार, अच्छे उद्देश्य से प्रेरित और स्वच्छता के लिए राजनीति में उतरने के दावों की समाचार माध्यमों में भी पड़ताल बिल्कुल नहीं की गई। आप द्वारा दिल्ली में सरकार बनाने के बाद जरूर मीडिया के एक हिस्से में ऐसे दावों को परखने की प्रवृत्ति बनी है, लेकिन अभी भी आप की ज्यादातर आलोचना हमदर्दी के साथ ही की जाती है।

अरविंदकेजरीवाल सरकार के इस्तीफा देने को अपनी मजबूरी बताते हुए आप नेताओं ने बार-बार कहा कि जन लोकपाल कानून का मुद्दा उनकी बुनियाद से जुड़ा है, इसलिए वे इस पर कोई समझौता नहीं कर सकते थे। जबकि हकीकत यह है कि उनसे समझौता करने के लिए किसी ने नहीं कहा। बात प्रक्रियाओं और संवैधानिक मर्यादाओं के पालन की थी। इनका पालन करते हुए प्रस्तावित विधेयक पारित कराना असंभव नहीं था। लेकिन उसमें वक्त लगता, जबकि आप का मकसद भ्रष्टाचार विरोधी उन्माद को और भड़काना था, ताकि लोकसभा चुनाव के लिए चालाकी से तैयार की गई पटकथा के मुताबिक वह आगे बढ़ सके। बिल पास हो जाता, तो फिर कांग्रेस और भाजपा दोनों को एक जैसा और मुकेश अंबानी की कठपुतली बताने का आधार कहां से मिलता? अच्छी बात है कि यह पहलू अब सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा है।   

इसके बावजूद आप के भ्रष्टाचार विरोधी तथा स्वच्छ होने के दावे की पड़ताल की आवश्यकता बनी हुई है। दरअसल, सवाल यह उठाने की जरूरत है कि जिस अन्ना आंदोलन के गर्भ से आप का जन्म हुआ, वह क्या सचमुच भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन था? जो जानकारियां सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, अगर उन्हें सिलसिलेवार ढंग से सहेजा जाए तो इस समझ को चुनौती दी जा सकती है। वह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था, या भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा कर (जिससे यूपीए-2 सरकार को घेरना सबसे आसान था) किसी राजनीतिक प्रयोजन को हासिल करना मकसद था, यह सवाल बहस के लिए खुला हुआ है। 

गौरतलबहै, अऩ्ना आंदोलन के सूत्र इंडिया अगेन्स्ट करप्शन नामक संस्था के हाथ में थे, जिसमें कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के सिद्धांतकार रहे गोविंदाचार्य की प्रमुख भूमिका रही। गोविंदाचार्य ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा- .... काले धन को वापस लाने के लिए बाबा रामदेव का और नैतिक मूल्यों की तरफ लौटने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के जरिए श्री श्री रविशंकर का आंदोलन था। फिर अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल का इंडिया अगेन्स्ट करप्शन था। ये सभी निरंतरता में हैं और इस वैचारिक ढांचे की शाखाएं हैं। बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर आज सियासत में कहां खड़े हैं, यह सामने है। उनका मकसद भ्रष्टाचार मिटाना है, या किसी खास विचारधारा को राजनीति में स्थापित करना, यह छिपा नहीं है।

दलीलदी जा सकती है कि आप कम से कम अब उसी वैचारिक ढांचे की शाखा नहीं है। आखिर इसमें नरेंद्र मोदी विरोधी शख्सियतें, जन आंदोलनों के नेता, समाजवादी- यहां तक नक्सलवादी पृष्ठभूमि से आए कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इन सबकों को जोड़ने वाला प्रमुख तत्व भ्रष्टाचार विरोध है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा हैइस बिंदु पर आप से कुछ प्रश्न पूछे जाने चाहिए। पहला तो यही कि उसने खूब धूम-धड़ाके के साथ जो आतंरिक लोकपाल बनाया था, उसका क्या हुआ? आंतरिक लोकपाल के गठन की तात्कालिक पृष्ठभूमि पार्टी के एक बड़े नेता पर संपत्ति हड़पने के लगे गंभीर आरोप थे। अब एक और बड़े नेता पर हिमाचल प्रदेश की विजिलेंस जांच में नियमों को ताक पर रख कर जमीन लेने का आरोप पुष्ट हुआ है। एक अन्य बड़े नेता पर गैर-सरकारी संस्था चलाने के दौरान भ्रष्ट आचरण संबंधी आरोप की खबरें हाल में मीडिया में छपीं। पार्टी के एक विधायक पर एक बलात्कार पीड़िता को धमकाने का इल्जाम लगा। वैसे पार्टी के सर्वोच्च नेता का भी आचरण हमेशा नैतिक रहा है, इस धारणा को कई मीडिया रपटों से चुनौती मिली। 49 दिनों की आप सरकार ने इनमें से किसी मामले में जांच या उचित कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी। उसके आंतरिक लोकपाल का कोई अता-पता नहीं है। हैरतअंगेज है कि इसके बावजूद उसकी ईमानदारी के दावे या दूसरी पार्टियों को भ्रष्ट बताने के उसके बड़बोलेपन पर लोग यकीन कर लेते हैं।

वैसे भी अन्ना आंदोलन या आप ने भ्रष्टाचार को जैसा भावनात्मक मुद्दा बनाया, उससे भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने की कोई राह नहीं निकल सकती। स्टिंग करने के लिए आम लोगों को प्रोत्साहित करना, अधिकार क्षेत्र का बिना ख्याल किए मुकदमे का आदेश देना और वैधानिक सीमाओं का उल्लंघन कर कठोरतम भ्रष्टाचार विरोधी संस्था बनाने के लिए खुद को शहीद होते दिखाना- वोट की राजनीति में समर्थन जुटाने के लिहाज से उपयोगी तरीके हो सकते हैं, लेकिन इससे व्यवस्था में निगरानी तथा अवरोध एवं संतुलन को बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिलती। जबकि भ्रष्टाचार कम करने का एकमात्र रास्ता यही है कि सत्ता में या शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों की संस्थागत निगरानी मजबूत हो और अवरोध-संतुलन की व्यवस्था निरंतर अधिक कारगर बनाई जाए। भ्रष्टाचार इसलिए नहीं होता कि कुछ लोग नैतिक रूप पतित हो जाते हैँ। यह इसलिए होता है, क्योंकि (जैसाकि थॉमस जेफरसन ने कहा था) अपने अधिकार को बढ़ाने और अधिकार का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति मनुष्य-मात्र में समाई हुई है। यह एक ढांचागत समस्या है। अच्छी बात है, आखिरकार भारत में इसी रूप में इस समस्या का ढूंढने का प्रयास उत्तरोत्तर गति पकड़ रहा है।

लेकिनयह जटिल एवं बारीक बात पर-दोषदर्शिता की प्रवृत्ति से ग्रस्त लोगों और समूहों को समझना कठिन है। बीते दशकों में एनजीओ कल्चर ने एक बड़े दायरे में कुछ गलत और नष्ट होने की ऐसी अविवेकी भावनाएं फैलाई हैं कि उससे प्रभावित लोगों के लिए जो भी लड़ता दिखे (चाहे मकसद कुछ भी हो) उसे ही मसीहा मान लेना स्वाभाविक-सा हो गया है। यह संस्कृति राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा से ओत-प्रोत उन लोगों ने फैलाई है, जिनके लिए परंपरागत राजनीति के दरवाजे बंद थे। तब उन्होंने एक्टिविज्म का चोला पहना। दिल्ली में आप की सफलता के बाद उन्हें इसके जरिए अपनी महत्त्वाकांक्षाएं पूरी करने का मौका दिखा है। भ्रष्टाचार विरोध का आवरण लेकर वे चुनावी राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं। लेकिन उनकी गोलबंदी भी आप के भ्रष्टाचार विरोधी होने के छद्म या भ्रम को बहुत देर तक कायम नहीं रख पाएगी, क्योंकि लोगों को एक सीमा तक भ्रमित करना ही संभव होता है।

सत्येंद्र रंजन वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं. 

satyendra.ranjan@gmail.com पर इनसे संपर्क किया जा सकता है.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 422

Trending Articles