नियमगिरि में वजूद की जंग : क़िस्त 1
-अभिषेक श्रीवास्तव नियमगिरि के पहाड़ों से लौटने के बाद बड़े संक्षेप में कुछ कहानियां मैंने लिखी थीं जिनमें एक प्रभात खबर और जनसत्ता में छपी। मेरे साथी अभिषेक रंजन सिंह ने दैनिक जागरण] शुक्रवार और...
View Articleवजूद की जंग : जनता बनाम वेदांता की कहानी (दूसरी क़िस्त)
अभिषेक श्रीवास्तव-अभिषेक श्रीवास्तवनियमगिरि के पहाड़ों से लौटने के बाद बड़े संक्षेप में कुछ कहानियां मैंने लिखी थीं जिनमें एक प्रभात खबर और जनसत्ता में छपी। मेरे साथी अभिषेक रंजन सिंह ने दैनिक जागरण]...
View Articleवजूद की जंग : जनता बनाम वेदांता की कहानी (तीसरी और आखिरी क़िस्त)
अभिषेक श्रीवास्तव-अभिषेक श्रीवास्तवनियमगिरि के पहाड़ों से लौटने के बाद बड़े संक्षेप में कुछ कहानियां मैंने लिखी थीं जिनमें एक प्रभात खबर और जनसत्ता में छपी। मेरे साथी अभिषेक रंजन सिंह ने दैनिक जागरण]...
View Articleक्या फांसी बलात्कार की समस्या का हल है?
सुनील कुमार-सुनील कुमार"...दिल्ली सामूहिक बलात्कार के दोषियों को 9 माह में फांसी की सजा सुना दी गई क्योंकि इन दोषियों में कोई भी अरबपति, राजनेता, नौकरशाह या शासक वर्ग से ताल्लुक रखने वाले नहीं थे। ये...
View Articleमुआवजा बड़ा या जंगल?
अविनाश कुमार चंचल-अविनाश कुमार चंचल"...अमिलिया के रहने वाले कृपानाथ कलेक्टर के गांव में आने को गांव वालों के संघर्ष की जीत मानते हैं। भोपाल से करीब सात सौ किलोमीटर दूर सिंगरौली जिले में महान जंगल है।...
View Articleमर्तोलिया रिहा, कहा सरकार में आपदा प्रभावितों के सवालों का जवाब देने का नहीं...
-प्रैक्सिस प्रतिनिधिडीडीहाट (उत्तराखंड)प्रेस को संबोधित करते जगत मर्तोलिया और जोध सिह बोरा "...डीडीहाट में हुयी पत्रकार वार्ता में मर्तोलिया ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री की धारचूला की...
View Articleपूंजी का संरचनात्मक संकट और शिक्षा : यूएस परिघटना : दूसरी क़िस्त
जॉन बेलेमी फ़ॉस्टर - जॉन बेलेमी फ़ॉस्टरअनुवादः रोहित, मोहन और सुनीलजॉन बेलेमी फ़ॉस्टर मंथली रिव्यू के संपादक हैं। वे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑरेगोन में समाजशास्त्र के प्रवक्ता और चर्चित पुस्तक ‘द ग्रेट...
View Articleपूंजी का संरचनात्मक संकट और शिक्षा : यूएस परिघटना : तीसरी क़िस्त
जॉन बेलेमी फ़ॉस्टर - जॉन बेलेमी फ़ॉस्टरअनुवादः रोहित, मोहन और सुनीलजॉन बेलेमी फ़ॉस्टर मंथली रिव्यू के संपादक हैं। वे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑरेगोन में समाजशास्त्र के प्रवक्ता और चर्चित पुस्तक ‘द ग्रेट...
View Articleपूंजी का संरचनात्मक संकट और शिक्षा : यूएस परिघटना : चौथी/अंतिम क़िस्त
जॉन बेलेमी फ़ॉस्टर - जॉन बेलेमी फ़ॉस्टरअनुवादः रोहित, मोहन और सुनीलजॉन बेलेमी फ़ॉस्टर मंथली रिव्यू के संपादक हैं। वे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑरेगोन में समाजशास्त्र के प्रवक्ता और चर्चित पुस्तक ‘द ग्रेट...
View Articleमहिषासुर शहादत दिवस आयोजन और कुछ सवाल
-अतुल आनंद अतुल आनंद विगत वर्षों में देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में दलित और पिछड़े वर्गों के छात्रों के संगठन की तरफ से हुई एक चर्चित मुहीम ‘महिषासुर शहादत दिवस’, प्रसार पा कर देश के बहुत...
View Articleनेपाल संविधान सभा चुनाव : राजनीतिक भंवर में फंसा देश
प्रेम पुनेठाप्रेम पुनेठा "...सविधान सभा में माओवादियों ने कर्इ समझौते किए जो उनकी नीतियों के खिलाफ थे। इससे पार्टी में असंतोष फैल गया। पार्टी में ही मोहन वैद्य ने नेतृत्व पर दक्षिणपंथी संसोधनवाद का...
View Articleनेपाल संविधान सभा चुनाव : माओवादियों के बंद पर, सबकी नजर
प्रेम पुनेठाप्रेम पुनेठा"...वैसे नेपाली सरकार ने चुनाव कराने के लिए सेना को भी सुरक्षा कामों में लगाने का आदेश दिया है। आज हम महेंद्रनगर और धनगढ़ी में थे और वहां पुलिस सड़कों पर दिखाई दे रही थी।...
View Articleकैमरे की नजर : नेपाल संविधान सभा चुनाव
आगामी मंगसिर ४ गते (यानी 19 नवम्बर ) को नेपाल अपनी संविधान सभा को बनाने के लिए दुबारा चुनाव करेगा. बहुत जटिल प्रश्नों पर राजनीतिक दलों के आपसी मतभेद के चलते अभी भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि नेपाल...
View Articleबंद का भरपूर असर : कैमरे की नजर 2 : नेपाल संविधान सभा चुनाव
10 सालों तक सशस्त्र संघर्ष के इतिहास वाली पार्टी ने जब बंद का आह्वान किया हो तो स्वाभाविक उसने सफल होना था. तो नेकपा माओवादी का बंद सफल रहा. पूरे नेपाल में इसका व्यापक असर रहा. वैद्य ग्रुप के लिए यह...
View Articleप्रचंड की 'मैती महाकाली जन-जागरण रैली' : कैमरे की नजर 3 : नेपाल संविधान सभा...
नेपाल में नेकपा माओवादी के बंद के दूसरे चरण में यातायात बंद का असर आज भी जारी रहा. सड़कें सूनी रही. कल के बंद के चलते हम धनगड़ी से आगे नहीं बढ़ सके थे. आज कुछ लोकल पत्रकार मित्रों की मदद से एक गाड़ी...
View Articleसंगीनों के साये में ‘लोकतंत्र’ का महापर्व : छत्तीसगढ़ चुनाव
-सुनील कुमारसुनील कुमार"...लोकतंत्र में लोगों को अपने मन से चुनाव डालना होता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के चुनाव में देखा गया कि किस तरह भारी फोर्स लगा कर चुनाव कराया गया आलम यह रहा कि अबूझमाड़ में बारह हजार...
View Articleइतिहास के साथ दो दिन की यात्रा
कृष्णा पोफले"..पहले दिन सीरी फोर्ट चिल्ड्रेन पार्क के भीतर मौजूद भारतीय पुरातत्व के विशाल संग्रह से कुछ महत्वपूर्ण मूर्तियों की प्रतिकृति के एक संग्रहालय से इस सफ़र की शुरुआत हुई. यहाँ भू-धूसरित हो चुके...
View Articleक्या चुनेगी दिल्ली!
-आशीष भारद्वाजआशीष भारद्वाज"...दिल्ली का अपना एक नायाब सा कैरेक्टर है: वो ऊपर से बदलती है लेकिन अंदर से एकदम स्थितिप्रज्ञ, ठहरी हुयी सी होती है. मानो उसे पता हो कि इतनी आसानी से कुछ नहीं बदलना. दिल्ली...
View Article‘भारत रत्न’ की जरूरत ही क्या है?
सत्येंद्र रंजन-सत्येंद्र रंजन"...क्या इस हाल में भी ‘भारत रत्न’ और पद्म पुरस्कारों की वैसी गरिमा या प्रतिष्ठा कायम रह सकती है, जिसकी कल्पना के साथ इनकी शुरुआत की गई थी? ऐसे में क्या यह सुझाव उचित नहीं...
View Articleतहलका का साहस अब कहाँ है? : अरुंधती रॉय
अरुंधती रॉय-अरुंधती रॉयतहलका के संस्थापक और प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा गोवा में पत्रिका की एक युवा पत्रकार पर किए गए गंभीर यौन हमले के मामले पर लेखिका और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय की टिप्पणी...
View Article