जेल से छूटने के बाद चावेज ने सिमोन बोलिवार की विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लिया. चावेज ने पूरे देश मे 100 दिनों का निर्णायक दौरा किया. उनको मिल रहे व्यापक जन समर्थन से परेशान होकर मीडिया ने उन्हे हाशिये पर पटकने का पूरा प्रयास किया. उनके "नरभक्षी" होने तक की आफ़वाह उड़ाई गई.
सोवियत संघ का पतन हो चुका था. तीसरी दुनिया के तमाम देश नव-उदारवाद और अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने घुटने टेक रहे थे. पूंजीवाद दुनियाभर मे "कोई विकल्प नहीं है" के शोर में तांडव कर रहा था. उसी समय लैटिन अमेरिका के छोटे से देश वेनेजुएला की जनता एक नए किस्म के अनुभव से दो-चार होने जा रही थी. बसंत अपनी दस्तक दे रहा था. 4फरवरी 1992का दिन था. नव-उदारवाद के भाड़े के टट्टू "कार्लोस अंदरेज परेज" की सरकार का तख़्ता पलटने का पहला प्रयास हुआ. भीतरघातियों की वजह से विद्रोहियों को कामयाबी नहीं मिली. चावेज को गिरफ्तार कर लिया गया. तब जनता को विद्रोही स्वर मे संबोधित कराते हुए उसने कहा:
"कॉमरेड, अफसोस है की राजधानी में जो लक्ष्य हमने तय किए थे हम उन्हें नहीं पा सके. आप जहां भी है, आप अच्छा लड़े. नए अवसर आएंगे. देश निर्णायक रूप मे बेहतर भविष्य की और बढ़ेगा. हम असफल हुए हैं सिर्फ अभी के लिए".
उसके शब्द ‘अभी के लिए’ (Por Ahora ) ने चमत्कारिक रूप से देश की मेहनतकश जनता में उम्मीद की नयी किरण जागा दी.
1998 का चुनाव:
जेल से छूटने के बाद चावेज ने सिमोन बोलिवार की विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लिया. चावेज ने पूरे देश मे 100 दिनों का निर्णायक दौरा किया. उनको मिल रहे व्यापक जन समर्थन से परेशान होकर मीडिया ने उन्हे हाशिये पर पटकने का पूरा प्रयास किया. उनके "नरभक्षी" होने तक की आफ़वाह उड़ाई गई. परंतु जनता मीडिया के जन विरोधी चरित्र से अच्छी तरह वाकिफ थी. चावेज को मेहनतकश जनता का व्यापक समर्थन हासिल हुआ. वे राष्ट्रपति चुने गए. 1998 से अब तक वहां की जनता ने चावेज के बारे मे लिए गए अपने निर्णय को अपरिवर्तित रखा. चावेज़ की इस लोकप्रियता के पीछे उनके समाजवादी मॉडल का बड़ा हाथ रहा. खनिज तेल वेनेज़ुएला के आर्थिक ढांचे का महत्वपूर्ण हिस्सा है. चावेज़ के राष्ट्रपति बनाने से पहले यह संसाधन वहां के पूंजीपतियों के कब्जे में था. चावेज़ ने इसे सार्वजनिक कर दिया. ११९८ में १०,००० कम्यून बनाये गए जो नीति-निर्माण में सरकार का सहयोग करते हैं. इन कम्यून की संख्या अब ३०,००० से अधिक है. इन्हें वहां Communes in Constructio के नाम से जाना जाता है. ये कम्यून सरकारी खर्च को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इन प्रयासों का परिणाम साफ़ दिखा. १९९८ से २००७ तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में ५५ फीसदी की गिरावट आई. नए संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएं मिलने लगीं. सत्ता के विकेंद्रीकरण और सामाजिक न्याय की नीति ने चावेज़ को वेनेज़ुएला की जनता के आँखों का तारा बना दिया.
2002 का तख़्ता पलट: पूंजीवाद की नाकाम साजिश:
लैटिन अमेरिका की जनता के पास अमेरिका प्रायोजित तख़्ता पलट का व्यापक अनुभव है. निकारगुआ की सेंडिनिस्ता सरकार हो या चिली की सल्वादोर अलेंदे की सरकार, पूंजीवाद का विरोध करने की कीमत वहां की जनता ने तख़्ता पलट के रूप मे चुकाई है. ऐसे में अपनी नाक के नीचे अमेरिका चावेज को कैसे सहन कर सकता था. 2002 के अप्रैल महीने में वेनज़ुएला मे फिर एक अमेरिका प्रायोजित तख़्ता पलट का प्रयास हुआ. चावेज़ को बंदी बना कर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया. पर वहीं की जनता का गुस्सा फूट पड़ा. 48 घंटे में वहां की जनता ने तख्ता पलट के प्रयास को असफल कर दिया. बुर्जुआ मीडिया के तमाम प्रयासों पर भी पानी फेर दिया गया. ये वेनेज़ुएला की जनता का अमेरिकी साम्राज्यवाद के मुंह पर करारा तमाचा था. आयरलैंड के फ़िल्मकार किम बार्टले और ओब्रायन की डॉक्यूमेंटरी फिल्म Revolution Will Not Be Televised इस पूरे प्रकरण के उतार-चढ़ावों को बहुत ही बढ़िया तरीके से प्रस्तुत करती है.
21वीं सदी का समाजवाद
2005 में हुए World Social Foraum के जमावड़े में चावेज ने 21वीं सदी के समाजवाद की अपनी परिकल्पना को सामने रखा. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का समाजवाद बुनियादी तौर पर जनवादी होगा. सोवियत रूस, पूर्वी यूरोप और चीन के अपने अनुभवों से हम जानते हैं की समाजवाद की २०वीं सदी की परिकल्पना में कई खामियां हैं. लैटिन अमेरिका और तीसरी दुनिया में चल रहे वाम आन्दोलन भी इस बात को स्वीकारते हैं. दिसम्बर २००६ में चावेज़ की पहल पर वेनेजुएला की तमाम वामपंथी पार्टियों का एकीकरण कर “United Socialist Party of Venezuela” नामक नई पार्टी का गठन हुआ. वाम एकता का ये बेहतरीन उदाहरण है. नयी पार्टी की घोषण के समय चावेज़ ने कहा की “अब पूरानी पार्टी को भुला दिया जाना चाहिए, उनके पुराने झंडे और पुराने ढांचे को भी भुला दिया जाना चाहिए क्योंकि पितृभूमि के लिए अब ये महत्वपूर्ण नहीं है”. नवउदारवाद के खिलाफ लड़ाई में चावेज़ ने लैटिन अमेरिका में महानायक की भूमिका निभाई. 2004 में बने Bolivarian Alliance for the Americas का वेनेज़ुएला संथापक सदस्य रहा. आज 8 लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देश इस संगटन के सदस्य हैं. इन सभी देशों की समाजवादी सरकारें नवउदारवाद के खिलाफ इस संयुक्त मोर्चे से अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं. चावेज़ की पहल पर विश्व बैंक के एकाधिकार को तोड़ने के लिए वेज़ुएला, अर्जेंटिना, ब्राज़ील और बोलीविया जैसे देशों ने नया वित्तीय संगठन Bank Of South खड़ा किया. यह वित्तीय संगठन लैटिन अमेरिका के देशों को आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बिना किसी राजनैतिक शर्त के मदद देता है.
विनय सुल्तान से vinaysultan88@gmail.comपर संपर्क किया जा सकता है.