![]() |
सुनीता भास्कर |
"...पीयूडीआर के मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने कहा कि जनवादी आवाजों के खिलाफ हमेशा यही कार्यवाही की जाती है। जो अपनी विचारधारा जनता पर थोपना चाहते हैं उन्हें हमेशा छूट दी जाती रही है। प्रधानमंत्री कहते तो हैं कि हर किसी को प्रोटेस्ट करने का अधिकार है लेकिन यहां कश्मीरी बच्चों द्वारा प्रोटेस्ट किए जाने पर जिस तरह से आज उनकी जान पर आ पड़ी है वह शुभ संकेत नहीं हैं..."
![](http://3.bp.blogspot.com/-FSpk4cI-0jQ/UR-TjXd5tKI/AAAAAAAAAMw/Rp9S7n0kVGg/s400/16-A-7.jpg)
शनिवारको प्रात: दस बजे से दिल्ली से आए पीयूडीआर के कार्यकर्ता गौतम नवलखा व सीपीआई, सीपीएम सीपीआई एमएल, क्रालोश, पछास, पीजेयू, परिवर्तन पार्टी, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, संवदेना लेखक मंच के लोग व कुछ रंगकर्मी संयुक्त रूप से गांधी पार्क के बाहर एक दिवसीय धरने पर बैठे। बिना किसी सभा व भाषणबाजी के सभी कार्यकर्ता केवल हाथों में पोस्टर लिए बैठे रहे। बीच-बीच में इंकलाब जिंदाबाद व कश्मीरी युवकों की सुरक्षा की मांग को लेकर नारे लगाए। इसी बीच पुलिस की दो बड़ी गाडिय़ां मौके पर पहुंची और चारों ओर से अपनी ड्यूटी मे तैनात हो गई।
दोपहरबारह बजे पुलिस की एक जिप्सी आई जिससे उतरे इंस्पेक्टरों ने उन्हें धरना स्थल से उठने को कहा। जिस पर संगठन के लोगों ने एक बजे धरना समाप्त करने की बात कही। तभी कुछ देर में कुछ लोग वंदेमातरम के नारे लगाते हुए उनसे आमने सामने हो गई। माहौल में गर्मी देख पुलिस ने विहिप के कार्यकर्ताओं को तो कुछ नहीं किया उलट शांतिपूर्ण बैठे लोगों को पकड़पकडक़र गाड़ी मे ठूंसना शुरू कर दिया। धरनास्थल पर किसी के जूते तो किसी का बैग छूट गया। और पुलिस धकियाती हुई लात मारती उन्हें गाड़ी में धकेलती रही। लगभग बीस लोगों को गाडिय़ों में भरकर पुलिस लाइन ले जाया गया जहां निजी जानकारी दर्ज करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
धरने में बैठे सीपीएम के महासचिव विजय रावत ने पुलिस के अभद्र रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पुलिस के लिए चोर उचक्के और राजनीतिक कार्यकर्ता सब एक ही श्रेणी में आते हैं। पुलिस को तमीज सिखाने की जरूरत है कि देश की जनता के साथ कैसे पेश आना चाहिए। वहीं सीपीआई के राष्ट्रीय सदस्य समर भंडारी ने कहा कि कश्मीरी युवकों के लिए देहरादून भय का शहर बन गया है। शिव सेना व विहिप के कार्यकर्ता उन्हें कहीं भी सरे राह पीट दे रहे हैं। ऐसे दबंग गुड़ों के खिलाफ पुलिस कार्रवाही करने के बजाय राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर रही है। भाकपामाले के इंन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि हिंदुवादी संगठनों को पहले दूसरी जाति धर्म के लोगों का सम्मान करना सीखना होगा। अंधराष्ट्रवादी सोच से देश नहीं चला करता और एक लोकत्रांतिक देश तो कतई नहीं।
दिल्लीसे आए पीयूडीआर के मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने कहा कि जनवादी आवाजों के खिलाफ हमेशा यही कार्यवाही की जाती है। जो अपनी विचारधारा जनता पर थोपना चाहते हैं उन्हें हमेशा छूट दी जाती रही है। प्रधानमंत्री कहते तो हैं कि हर किसी को प्रोटेस्ट करने का अधिकार है लेकिन यहां कश्मीरी बच्चों द्वारा प्रोटेस्ट किए जाने पर जिस तरह से आज उनकी जान पर आ पड़ी है वह शुभ संकेत नहीं हैं। आज दोपहर यहां के डिग्री कालेज डीएवी में फिर बजरंग दल द्वारा एक कश्मीरी युवक को पीटा जाना बेकसूरों पर जुर्म की इंतहा है। खुद को सबसे बड़े देशभक्त समझने वाले कुछ भी कर सकते हैं, कानून हाथ में ले रहे हैं, जजमेंट कर रहे हैं और लोकतांत्रिक देश की पुलिस उनके सामने लाचार है या उन्हें शह दिये हुए है। उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी युवक यहां इतने से प्रोटेस्ट के बाद खुद को महफूज नहीं मान रही तो कश्मीर में कफ्यू के बाद क्या हालात होंगे इसे समझा जा सकता है।
धरनेमें दो स्थानीय मुख्यधारा के अखबारों के संपादकों के नाम भी पत्र जारी किए गए जिसमें उनकी इस मानसिकता को कि कश्मीर में सिर्फ आंतकवादी ही पैदा होते हैं और इसीलिए उनका नारा लगाना भी आंतकवाद की श्रेणी में आता है जैसी मानसिकता से की गई रिपोर्टिंग को पत्रकारीय मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने उन स्टूडेंट्स के नाम पते समेत लिखी खबर पर आपत्ति जताई। धरने में परिवर्तनकामी छात्र संगठन के नितिन, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, जनवादी महिला समिति की इंदु नौडियाल व नूरेसा अंसारी, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के भूपाल, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, रंगकर्मी सतीश धौलखंडी, एपवा की मालती हालदार, प्रोग्रेसिव जर्नलिस्ट यूनियन के प्रवीण भट्ट व कमल भट्ट, लेखक संगठन से जितेन्द्र भारती समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
सुनीता पत्रकार हैं.
अभी देहरादून में एक दैनिक अखबार में कार्यरत.
sunita.bhaskar.5@fac ebook.com पर इनसे संपर्क हो सकता है.
sunita.bhaskar.5@fac