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चलें क्या पिंडारी ग्लेशियर - 2

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उत्तराखंड में ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए पिंडारी ग्लेशियर एक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन है. पिंडारी के साथ ही हिमालय के कई शिखरों, घाटियों में लम्बी-लम्बी यात्राओं का अनुभव बटोर चुके केशव भट्ट पिंडारी से सबसे नजदीक के क़स्बे बागेश्वर में रहते हैं. वे इस ट्रेक के लिए कुछ ख़ास टिप्स दे रहे हैं.  पढ़ें दूसरी क़िस्त- 

पिंडर घाटी क्षेत्र में पिंडारी ग्लेशियर के अलावा, कफनी, सुंदरढूंगा, मैकतोली आदि ग्लेशियर हैं. बागेश्वर से इन क्षेत्रों में जाने के लिए पिंडारी ग्लेशियर पैदल मार्ग में अंतिम गांव खाती तक तीन मार्ग हैं. खाती गांव से इन ग्लेशियरों को जाने के लिए रास्ते अलग हो जाते हैं. 

इस मार्ग में अभी केवल पिंडारी ग्लेशियर से पहले पढ़ाव फुर्किया तक रहने के लिए टीआरसी तथा पीडब्लूडी के रेस्ट हाउस हैं. वैसे स्थानीय लोगों की दुकानों में भी इमेरजेंसी में रहने की व्यवस्था हो ही जाती है. इसके लिए आप पहले से ही इन रेस्ट हाउस की बुकिंग करवा सकते हैं. केएमवीएन की वैबसार्इट में जाकर आन लार्इन बुकिंग की सुविधा है. 
इसके साथ ही कुछ टूर आपरेटर भी हैं. वैसे पिंडर घाटी क्षेत्र के कर्इ लोग पर्यटन के साथ ही हार्इ एल्टी टैकिंग तथा पीक क्लार्इबिंग में भी अच्छे अनुभवी हैं. वो भी इस क्षेत्र से जुड़े हैं. जिनके बारे में जानकारी आपको अंत में दी जाएगी. 
इस टैकिंग यात्रा में कुछ जरूरी सामानों की आप लिस्ट बना लें. टार्च, छाता, दो जोड़ी जुराब, टायलट किट, एक विंड प्रूफ जैकेट, चश्मा, वाटर बोटल, रूमाल, कैप, फस्ट एड किट, माचिस/लाईटर, स्लीपर, कुछ खटटी-मीठी टाफी, कुछ चाकलेट व बिस्कुट. बांकी आप अपने पहनावे का सामान अपनी र्इच्छा से रख सकते हैं. 


ज्यादा कपड़े ना ही रखें तो आपके लिए ठीक रहेगा. जब आप टैकिंग कर रहे होते हैं तो मौसम ठीक रहने पर शरीर में गर्मी रहती है. उस वक्त हाफ टी शर्ट व टाउजर से काम चल जाता है. अपने पढ़ाव में पहुंचते ही अपने कपड़े ना उतारें, बल्कि विंड पू्रफ जैकेट पहन लें. उंचार्इ में शरीर में पानी की मात्रा कम होने पर सिर दर्द की शिकायत पहले दो दिनों में अकसर रहती है. इसके लिए पानी, सूप, जूस, चाय आदि लेते रहें. दवार्इयों से परहेज करें तो अच्छा रहेगा. पहले दो दिन उंचार्इ में जाने पर सिर दर्द की शिकायत रहती है उससे घबराएं नहीं. 

बहरहाल! पहले समझिए मुख्य पैदल मार्ग यात्रा को. बागेश्वर से भराड़ी होते हुए सौंग तक जीपें जाती हैं. सौंग से आगे कच्ची सड़क है, जो अकसर बरसातों में टूटने की वजह से कर्इ महीनों तक बंद पड़ी रहती है. सौंग से दो सड़कें हैं. एक सड़क दाहिने को जाती है जो मोनार होते हुए सूपी, पतियासार गांव तक बनी है. और दूसरी बांर्इ ओर चढ़ार्इ लिए हुए जाती है लोहारखेत, रगड़, चौढ़ास्थल, पेठी, कर्मी, विनायक धार, धूर, खर्किया तक.
सौंग से लोहारखेत पांच किलोमीटर की दूरी पर है. यहां कुमाउं मंडल विकास निगम का रैस्टहाउस है. इससे पहले सूढि़ंग गांव में पीडब्लूडी का एक खंडहर बंगला है, जहां रूकने की व्यवस्था नहीं है. सौंग से जीपवाले यहां तक बुकिंग करवाने पर दो-तीन सौ रूपये में छोड़ देते हैं. वैसे ये पैदल रास्ता करीब तीनेक किलोमीटर का है. अगर आप बाहर क्षेत्र से आ रहे हैं तो बागेश्वर या अन्य जगहों में दोपहर में पहुंचे हैं तो बागेश्वर में रूकने के बजाय लोहारखेत में रात गुजारने के लिए बढि़या है. सुबह यहां से पैदल चलने में अच्छा रहता है. और समय भी बच जाता है.
आप यदि अपनी गाड़ी लाए हैं और वो एसयूबी नहीं है तो उसे सौंग में ही छोड़ना ठीक रहेगा. आगे की सड़क कच्ची और उबड़-खाबड़ वाली है. इसमें गाड़ी चलाना बाहर से आने वालों के लिए खतरनाक है. सौंग में कुछ दुकानदार वहीं रहते हैं जिनकी सुरक्षा में गाड़ी छोड़ी जा सकती है. वैसे यदि आपको अपनी गाड़ी की चिंता फिर भी सता रही है तो बागेश्वर में सिद्वार्थ होटल में पार्किंग की व्यवस्था है. आप वहां नार्इट स्टे कर वहीं अपनी गाड़ी छोड़ सकते हैं. 

दूसरे दिन यहीं से आपको भराड़ी-सौंग के लिए जीप मिल जाएगी. सिद्वार्थ होटल बस स्टेशन में ही है. यहां खाती गांव समेत उप्परी क्षेत्र के लोग आते रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर गार्इड, पोटर भी होते हैं. जिनसे आपको काफी मदद मिल जाएगी. इसके लिए होटल के कांउटर में इस बारे में इंक्वारी कर लें.
लोहारखेत से करीब आधा किलोमीटर हल्की मीठी चढ़ार्इ के बाद आगे को जा रही कच्ची सड़क में चलना होता है.
अभी जारी है..


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