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हरीश रावत के जिंदल प्रेम में एक्‍सपोज़ हुई भाजपा

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पुष्‍कर सिंह बिष्‍ट । अल्मोड़ा

रानीखेत के नैनीसार में जिंदल समूह को कौड़ियों के भाव ग्रामीणों की जमीन देने के विरोध में आए उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के पीसी तिवारी व उनके आठ सहयोगियों सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों खासकर महिलाओं को पुलिस दमन का शिकार होना पड़ा।



इलाके को पुलिस छावनी बनाकर मुख्यमंत्री ने इस कथित अंतरराष्‍ट्रीय स्कूल का उद्घाटन आखिरकार कर ही डाला। गुरुवार की सुबह जब परिवर्तन पार्टी के सदस्‍यों का दल कार्यक्रम स्थल की ओर रवाना हुआ तो कटारमल के पास पुलिस ने पीसी तिवारी, जीवन चंद्र, प्रेम आर्या, अनूप तिवारी, राजू गिरी आदि को हिरासत में ले लिया।

देर शाम तक इन लोगों को नहीं छोड़ा गया था। इधर ग्रामीणों का एक बड़ा समूह जिसमें महिलाएं भी थीं, उन्‍हें पुलिस ने झड़प के बाद मजखाली के आसपास जंगल में रोक लिया और उनकी विरोध सामग्री, तख्ती, झण्डे आदि भी जला दिए। भाजपा नेता व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन राम को भी हिरासत में लेने का समाचार है।

 
उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी ने इसके विरोध में अल्मोड़ा में मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। इस मुद्दे पर कई दिनों से मीडिया में हो हल्ला करने वाले भाजपा नेता अजय भट्ट कार्यक्रम स्थल पर तो नहीं गए अलबत्ता भाजपा नेता इस मामले में कन्नी काटते रहे। भाजपा सांसद मनोज तिवारी के मौके पर आने से पूरी भाजपा को मानो सांप सूंघ गया। कई भाजपा नेताओं ने यहां तक कहा कि मामला उनकी समझ में अभी नहीं आया है। सुबह से ही जिंदल समूह के इस कार्यक्रम की तैयारी के अखबारों में जो विज्ञापन दिखे उसमें भाजपा सांसद अजय टम्टा व अनेक स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बधाई संदेश थे जिससे पूरी भाजपा बैक फुट पर दिखी। ज्ञात हो कि अल्मोड़ा जिला में डीडा (द्वारसों) के तोक नौनीसार की 353 नाली (7.061 हेक्टेयर) भूमि प्रदेश सरकार दिल्ली की हिमांशु एजुकेशन सोसायटी को आवंटित करने की प्रक्रिया से सन्देह के घेरे में आ गयी है। स्थानीय ग्रामीण इसके विरोध में सड़क पर उतर आये हैं।
 
अल्मोड़ा-रानीखेत के बीच द्वारसों क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बहुत सुन्दर है। द्वारसों से काकड़ीघाट के लिये कई दशक से बन रहे मोटर मार्ग में मात्र 3 कि.मी. पर सड़क के किनारे नानीसार नामक तोक है जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार बहुत गुपचुप तरीके से जिन्दल समूह की इस संस्था को कथित इन्टरनेशनल स्कूल के लिये कौडि़यों के भाव आवंटित कर रही है किन्तु आवंटन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही दबंग संस्था ने जमीन पर कब्जा कर लिया है।
 
कुमाऊँ में सार का मतलब खेती की जमीन से होता है। नानीसार का मतलब ही छोटी खेती की जमीन से है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने इस जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को इतने गोपनीय ढंग से अंजाम दिया कि डीडा के ग्रामीणों को 25 सितम्बर को इसका पता तब चला जब हिमांशु एजुकेशनल सोसायटी दिल्ली 260 जी.एल.एफ. तथा शिवाजी मार्ग नई दिल्ली के दर्जनों मजदूर व जे.सी.बी. मशीनों ने उनकी जमीन पर सड़क निर्माण, पेड़ों का विध्वंस व घेरबार शुरू कर दी। ग्रामीणों द्वारा हाथ पांव मारने के बावजूद जमीन पर कब्जा कर रहे लोगों एवं प्रशासन ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी। इस घटना के विरोध में 2 अक्टूबर को ग्रामीणों ने नैनीसार में धरना दिया, तब रानीखेत तहसील से पटवारी व पुलिस ने आकर उन्हें कार्य में व्यवधान न डालने की चेतावनी दी। ग्रामीणों ने एस.डी.एम. रानीखेत को ज्ञापन भी दिया। 8 अक्टूबर को दर्जनों ग्रामीण जिला मुख्यालय पर आये व वहां मौजूद ए.डी.एम. इला गिरी को इस दबंगई के खिलाफ ज्ञापन दिया। इसी दिन ग्रामीणों का यह दल उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी से मिला व अपनी जमीन बचाने में मदद की गुहार की।
 
उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी ने 9 अक्टूबर को जिला अधिकारी विनोद कुमार सुमन से मिल कर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर ग्रामीणों की भूमि पर अतिक्रमण रोकने, पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच व इस मामले से जुड़े सभी तथ्यों से सार्वजनिक करने की मांग की।
 
11 अक्टूबर को डीडा-द्वारसों के ग्रामीणों के आमंत्रण पर उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के एक दल ने ग्रामीणों के साथ घटनास्थल का दौरा किया। घटनास्थल पर जिन्दल का स्कूल खोलने का बोर्ड लगा है व रोड़ से लगी भूमि पर खुदान सड़क निर्माण हो चुका है। बांज, काफल, चीड़ के पेड़ जमींदोज किये जा चुके हैं। मौके पर विद्युत विभाग का ट्रांसफार्मर लगा था, संस्था व पट्टी पटवारी के पास जमीन के कागजात नहीं थे और संस्था द्वारा वहां किये जा रहे विनाश को लेकर एस.डी.एम. रानीखेत, ए.पी.बाजपेयी को मौके पर जानकारी दी। मौके पर क्षेत्रीय पटवारी आया पर निर्माण कर रही संस्था व पटवारी के पास जमीन का कब्जा लेने का कोई आदेश नहीं था।
 
इस बीच सूचना अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी से साफ हो गया है कि राजस्व अभिलेखों में श्रेणी 9(3)5 कृषि योग्य बंजर भूमि में दर्ज 7.061 हे. भूमि अभी तक भी नैनीसार डीडा द्वारसों की जमीन का जिन्दल ग्रुप के पक्ष में हस्तान्तरण नहीं हुआ।
 
इस मामले में नियमानुसार ग्राम सभा की आम बैठक नहीं हुई और न ही आम ग्रामवासियों से अनापत्ति ली गयी। इस गांव के ग्राम प्रधान गोकुल सिंह राणा का एक अनापत्ति प्रमाण पत्र जिस पर 23 जुलाई 2015 की तिथि है, इसमें अनापत्ति प्रमाण पत्र देेते हुए लिखा है कि जमीन सार्वजनिक उपयोग व धार्मिक प्रयोजन की नहीं है जबकि जिला अधिकारी कार्यालय के पत्र पत्रांक 6444/सत्ताईस-19-15-15, दिनांक 29 जुलाई, 2013 में तीन बिन्दुओं के साथ ग्राम सभा की खुली बैठक में ग्राम की जनता ग्राम प्रधान प्राप्त अनापत्ति प्रस्ताव की सत्यापित प्रति मांगी गयी है। ग्रामीणों ने 15 अक्टूबर को उपजिलाअधिकारी रानीखेत के यहां हुए विरोध प्रदर्शन में ज्ञापन देकर कहा है कि ग्रामवासियों की खुली बैठक में कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं किया गया। यदि ऐसा फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया है तो ऐसा करने वालों पर कार्यवाही की जाय। ग्रामीणों ने अतिक्रमणकारियों द्वारा लोभ-लालच देने, जबरन उठवा देने व जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया है।
 
इस भूमि का मूल्य रू. 4,16,59,900/- (चार करोड़ सोलह लाख उनसठ हजार नौ सौ रूपया) लगाया गया है। वार्षिक किराया मात्र 1996.80 पैसा लिखा गया है। इसी आधार पर उत्तराखण्ड सरकार ने 22 सितम्बर, 2015 को सचिव, उत्तराखण्ड शासन डी.एस.गब्र्याल की ओर से जारी शासनादेश में गवर्नमेन्‍ट ग्रान्ट एक्ट के अधीन पहले 30 वर्ष के लिये 2 लाख रूपये वार्षिक दर व 1196.80 किराये पर पट्टा निर्गत करने हेतु नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही करने के आदेश दिये। इसका 7 अक्टूबर को उपजिलाअधिकारी ने पट्टे पर सशुल्क आवंटन करने हेतु अपनी आख्या दी। स्वयं तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने सचिव डी.एस.गब्र्याल द्वारा जारी शासनादेश के बिन्दु 9 जिसमें सर्वोच्च न्यायालय जगपाल सिंह बनाम पंजाब राज्य एवं झारखण्ड राज्य व अन्य बनाम पाकुर जागरण मंच व अन्य में न्यायालय के निर्देश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है, जिस पर उपजिलाअधिकारी रानीखेत की आख्या अभी तक प्राप्त नहीं है। लेकिन अल्मोड़ा के जिला प्रशासन ने 25 सितम्बर को ही मिलीभगत कर उक्त भूमि पर जबरन संस्था को कब्जा करा दिया।
 
ग्रामीणों का आरोप है कि उक्त भूमि उनकी नाप भूमि थी, जिसे बन्दोबस्त में गलत दर्ज किया गया। वहां वन पंचायत बनी है, चीड़ के पेड़ों पर लीसा लगा है, गांव का एक छोटा मन्दिर (थान) है लेकिन इन सभी की सरकार के इशारे पर अनदेखी की गयी है। जिन्दल समूह की इस कथित सोसायटी के दलाल अब ग्रामीणों को धमकाने, लालच देने व धन के जोर पर दुष्चक्र व गिरोहबन्दी में लग गये हैं। सरकार के इशारे पर कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों को आगे कर ग्रामीणों के विरोध को दबाने की नाकाम कोशिश हो रही है। दिलचस्‍प बात यह है कि हिमांशु एजुकेशनल सोसायटी द्वारा जो प्रस्ताव प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिया गया है उसमें उत्तराखण्ड के किसानों, मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई इस कथित इण्टरनेशनल स्कूल में करने की कोई व्यवस्था नहीं है। शासनादेश में भी केवल अधिकारियों/कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा देने का जिक्र किया गया है।
 
इस सोसायटी के दस्तावेजों में साफ है कि इस कथित अंतरराष्‍ट्रीय स्कूल में विदेशी छात्र पढ़ेंगे और 30 प्रतिशत कोटे पर उत्तराखण्ड के अधिकारियों व नेताओं के बच्चों को सीट दी जाएगी। फिलहाल हरीश रावत जिसे उत्तराखण्ड का जमीनी नेता कहा जाता है, उनकी इस घटना से खूब किरकिरी हुई है। माना जा रहा है कि यह मामला दिल्ली में सोनिया दरबार तक जा सकता है। इस घटना में कन्नी काटने पर यूकेडी, भाजपा जैसे अन्य दलों की भी पोल खुली है जो उत्तराखण्ड के नाम पर लोगों से भावनात्मक खिलवाड़ करते हैं।

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