-विनीता यशस्वी
अवस्थी मास्साब |
यहाँएक रूमानी शख्स का जिक्र करने के लिए कोई भी खास तारीख क्यों ढूंढी जाय? और जबकि आपको पूरा यकीन हो कि इस शख्स ने हर तारीख को जी भर जिया होगा तो ऐसे में ये बात और भी बेमाने हो जाती है कि हम एक ‘खास तारीख’ ढूँढेंगे और उस दिन फलां आदमी की बात करेंगे.
अवस्थी मास्साब का न तो आज जन्मदिन है ना ही आज के दिन उन्होंने अपने प्राण तजे थे. लेकिन क्योंकि हमें आज ही उनके बारे में बात करने का दिल है तो हमने आज ही बात छेड दी.
अवस्थीमास्साब! शायदआप इस नाम को ना जानते हों. आप शायद उन्हें इसलिए भी न जानते हों क्योंकिउन्हें कभीकोईपुरस्कारनहीं मिला. अगर उन्हें पुरस्कार मिला होता तो उन्हें जानना ‘जीके’ तंदुरुस्त करने या अन्य कारणों से शायद आपकी मजबूरी होती. लेकिन यकीनन, उन्हें जो जानते होंगे पूरा जानते होंगे. वे आदमी ही इतने रोचक थे.और उन्होंने जो काम कियेहैंवोकिसीके जाने बगैर भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि उन्हें कोई जान लेता, तो होते.
2 अगस्त 1925 कोनेपालकेएकछोटेसेगावंसिलगढ़ीकेगरीबपरिवारमेंजन्मे‘शरतचन्द्रअवस्थी’नेएम.ए. अंग्रेजीसेकियाथाऔरनैनीतालकेसी.आर.एस.टी. स्कूलमेंशिक्षकहो गए।नैनीतालमेंहरकोईउन्हें‘अवस्थीमास्साब’केनामसेहीजानताथा।अवस्थीमास्साबयूंतोअंग्रेजीकेशिक्षकथेपरअंग्रेजीकेअलावाभीहरविषयमेंउनकाबहुतअच्छाअधिकारथा।उनकेछात्ररहचुकेबलवीरसिंहकहतेहैं, “जबभीकिसीऔरविषयकेशिक्षकनहींआते,तोअवस्थीमास्साबउनकीजगहहमेंपढ़ानेआ जाते.वोइसअंदाजमेंपढ़ातेथेकिलगताये तो उन्हीं का विषय है. ये लगता ही नहीं कि मास्साब तो अंग्रेजी के मास्साब हैं.” अवस्थीमास्साब अंग्रेजी के तो मास्साब थे ही पर उनकाहिन्दीऔरउर्दूमें भी बराबर का दखल था।
अवस्थी मास्साब द्वारा बनाया गया पोस्टर |
अवस्थीमास्साबमशहूरनाट्यसंस्था‘युगमंचकेसंस्थापकसदस्यभीथे।युगमंच के पूर्वअध्यक्ष ज़हूरआलमकीमल्लीतालस्थितछोटीसीकपड़ेकीदुकान‘इंतखाब’उनकेबैठनेकाअड्डा हुआ करता. यहींसेवोअपनेसभीरचनात्मककार्योंकोदिशादियाकरतेथे।ज़हूरआलमबताते हैं,“अवस्थीमास्साबज्ञानकाभंडारथे।हरविषयमेंउनकाज्ञानइतनागहराथाकिकभी-कभीलोगउसेसमझभीनहींपातेथे।असलमेंअवस्थीमास्साबअपनेसमयसेबहुतआगेकेथेइसलियेशायदलोगउन्हेंउसतरीकेसेसमझनहींपायेजिसतरहसेउन्हेंसमझाजानाचाहियेथा।”
अवस्थीमास्साबआंदोलनकारीभीथेऔरउन्होंने‘नशानहीरोजगारदो, प्राधीकरणहटाओनैनीतालबनाओ, मण्डल-कमण्डलकेविरुद्धछात्रआंदोलन, 1994 कामुजफ्फरनगरकांडतथाउत्तराखंडआंदोलन मेंसक्रियभूमिकाअदाकी।अवस्थीमास्साबखेलोंकेभीबेहदशौकिनथेऔरहरतरहकेखेलोंजैसे– क्रिकेट,हॉकी, फुटबाल, बॉक्सिंगआदिकीबारिकियोंसेभीभलीभाँतिपरिचितथे।अरूणरौतेलाकहतेहैं,“अवस्थीमास्साबविद्वान औरईमानदारतोथेहीसाथ हीउन्होंनेखुदकोअभिव्यक्तकरनेकाजोमाध्यमचुनावोनिरालाथा।उनकेबगैरनैनीतालआजअधूरालगताहै।उनसेहमेंकाफीकुछसीखनेकोमिला।ऐसेविद्वानदुनियामेंकमहीहोतेहैंजिनमेंसेएकहमारेअवस्थीमास्साबभीथे।”
आंखिरी पोस्टर |
जीवनकी सर्दियों में से बसंत के 76मौसमों को बहार निकाल लाने के बाद, 2002 की सर्दियाँ अभी लदी भी नहीं थी कि फ़रवरी की 12 तारीख को मास्साब को हुये ब्रेन हैम्ब्रेज ने उन्हें इस बसंत से आगे नहीं बढ़ने दिया. यह ब्रेन हेम्ब्रेज प्राणघातक साबित हुआ. कुछ दिनों से अस्पताल में भरती अवस्थी मास्साब की मृत देह को जब बिस्तर से उठाया गया तो सिरहाने से मुस्कराहट फूट पड़ी, उनका बनाया एक आंखरी पोस्टर झाँक रहा था. उसमे लिखा था, “हैप्पी बर्फ डे!”. एक दिन पहले ही नैनीताल बर्फ में नहाया था. यह पोस्टर उसी का जश्न था और दुनिया को अवस्थी मास्साब का ‘अलविदा’ भी...
विनीता पेशे से पत्रकार हैं और मिज़ाज से यात्री.
उत्तराखंड के प्रतिनिधि अखबार 'नैनीताल समाचार' की मुहीम का अहम हिस्सा हैं.
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