Image may be NSFW. Clik here to view. ![]() |
सुधीर सुमन |
-सुधीर सुमन
"...आज के धरने में यह तय किया गया कि अगर यूपी की अखिलेश सरकार कंवल भारती पर से फर्जी मुकदमा वापस नहीं लेती, तो आने वाले दिनों में साहित्यकार संस्कृतिकर्मी यूपी भवन का घेराव करेंगे और किसी एक तारीख को देश के कई हिस्सों में साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी एक साथ यूपी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने हाथ में प्ले कार्ड्स ले रखे थे, जिन पर लिखा था- जातिवादी-सांप्रदायिक धु्रवीकरण की राजनीति बंद करो, कंवल भारती पर से मुकदमा वापस लो, आजम खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करो, अभिव्यक्ति की आजादी का दमन बंद करो।..."
Image may be NSFW.
Clik here to view.
कल कंवल भारती के प्रेस कांफ्रेंस में एकजुटता जाहिर करने के बाद आज दिल्ली के साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने उनकी अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में जंतर मंतर पर धरना दिया। इस बीच दलित लेखक संघ, दलित साहित्य और कला मंच तथा संवादिता नामक संस्था ने भी प्रलेस, जलेस और जसम के संयुक्त बयान का समर्थन किया है और इन तमाम संगठनों के नाम से संयुक्त बयान की कॉपी आम लोगों के बीच बांटी गई। आज के धरने में यह तय किया गया कि अगर यूपी की अखिलेश सरकार कंवल भारती पर से फर्जी मुकदमा वापस नहीं लेती, तो आने वाले दिनों में साहित्यकार संस्कृतिकर्मी यूपी भवन का घेराव करेंगे और किसी एक तारीख को देश के कई हिस्सों में साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी एक साथ यूपी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने हाथ में प्ले कार्ड्स ले रखे थे, जिन पर लिखा था- जातिवादी-सांप्रदायिक धु्रवीकरण की राजनीति बंद करो, कंवल भारती पर से मुकदमा वापस लो, आजम खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करो, अभिव्यक्ति की आजादी का दमन बंद करो।
Clik here to view.

आजधरने को संबोधित करते हुए जलेस के महासचिव चंचल चौहानने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली की जो स्थिति रहते है और जिस तरह के बुनियादी संकट हैं, उसमें बहुत बड़ी तादाद के लिए फेसबुक ही नहीं, बल्कि ढंग से बुक भी देख पाना मुश्किल है। इसके बावजूद अगर फेसबुक पर किसी टिप्पणी से सरकार का कोई मंत्री घबराता है, तो इससे साबित होता है कि वह कितना असहिष्णु है। उन्होंने कहा कि आज साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों को संगठित न होने देने की कोशिशें बहुत हो रही है, इसलिए कंवल भारती के मुकदमे की वापसी के लिए संगठनों की जो एकजुटता बनी है, उसे और भी मजबूत बनाने की जरूरत है।
जलेस के ही युवा आलोचक संजीव कुमारने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर एक से एक सांप्रदायिक अभिव्यक्तियां की जा रही हैं, पर इसके लिए किसी पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है, लेकिन एक लेखक सिर्फ एक मंत्री और सरकार के कामकाज पर सवाल उठाता है, तो उसे आनन फानन में जेल में डाल दिया जाता है।
Image may be NSFW.
Clik here to view.
दिल्ली जसम के संयोजक चित्रकार अशोक भौमिकने कहा कि हम आपातकाल दिवस पर भी जंतर मंतर पर दमन की संस्कृति के खिलाफ आए थे, कंवल भारती समेत अभिव्यक्ति की आबादी पर पाबंदी लगाने वाले जितने मामले हैं, हम उन पर संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह लड़ाई जारी रहेगी।
Clik here to view.

जेएनयू टीचर संघ और प्रलेस से जुड़े सुबोध मालाकारने कहा कि भविष्य में इस तरह के खतरे बढ़ने वाले हैं, इसलिए संगठित प्रतिरोध बहुत जरूरी है। पत्रकार अंजनीने कहा कि पूरे देश में दमनकारी स्थिति बनी हुई है, मारुती के मजदूरों को जेल में बंद हुए एक साल से अधिक हो गए हैं, पर उनकी रिहाई नहीं हो रही है। आंध्र प्रदेश में क्रांतिकारी लेखक की हत्या कर दी जा रही है। कंवल भारती को एक छोटे से कमेंट के कारण जेल में डाल दिया जाता है। ये सारे कृत्य कमजोर सरकारों की निशानी हैं। बनास के संपादक पल्लवने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती, इसका एकताबद्ध होकर विरोध करना होगा। दलित मुक्ति के संघर्षों और विमर्शों से जुड़ी लेखिका अनिता भारतीने कहा कि कंवल भारती को जिस तरह से गिरफ्तार किया गया, वह अपमानजनक है। यूपी पुलिस और उनके मंत्री ने एक लेखक के सम्मान का भी हनन किया है। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार मुकदमे को वापस ले और लेखक से माफी मांगे।
जसम के महासचिवप्रणय कृष्णने कहा कि अभिव्यक्ति का गला घोंटने वाली व्यवस्था अंदर से बहुत डरी हुई व्यवस्था होती है। जितना ही व्यवस्था के संकट बढ़ते हैं, उतना ही दमन बढ़ता है। लेकिन दमन के खिलाफ प्रतिरोध भी होता है और आज भी हो रहा है। कबीर कला मंच के कलाकारों और सुधीर ढवले की गिरफ्तारी का सवाल हो या सीमा आजाद का बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों ने एकजुट होकर इसका प्रतिरोध किया है। जमानत मिल जाने के बाद कंवल भारती को जिस तरह दूसरे फर्जी मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है, उसका भी प्रतिवाद किया जाएगा। उन पर लादे गए फर्जी मुकदमे की वापसी के लिए चल रहे इस आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा।
इंकलाबी नौजवान सभा केअसलमने कहा कि सरकारें मजदूरों, आदिवासियों, अल्पसंख्यक नौजवानों, महिलाओं पर लगतार दमन ढा रही हैं। इंतहा ये है कि फेसबुक पर की जा रही टिप्पणी भी उनसे बर्दाश्त नहीं हो पा रही है। सरकारों का इस तरह के दमनकारी रुख के खिलाफ एक बड़ी संघर्षशील एकजुटता बनाने की जरूरत है।
कंवलभारती के साथ काम कर चुके रामरतन बौद्धने उनके विद्रोही तेवर वाले लेखन की चर्चा की और कहा कि वे सच को लिखते हैं, फेसबुक पर भी उन्होंने सच ही लिखा था, जो सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। सरकार ने जिस तरह का कंवल भारती के साथ व्यवहार किया है, उसने बहुत लोगों को उनके साथ खड़ा कर दिया है।
प्रलेसके महासचिव अली जावेद, कवि अनुपम, श्याम सुशील, रविप्रकाश, चित्रकार सवि सावरकर, रंगकर्मी अरविंद गौड़, तिरछी स्पेलिंग ब्लॉग के संपादक उदय शंकर, युवा आलोचक गोपाल प्रधान, आशुतोष, मार्तंड प्रगल्भ, चारु, नीरज, ब्रजेश, गौतम, नीलमणि, शौर्यजीत, पत्रकार रविकांत, अभिषेक श्रीवास्तव आदि भी धरने में मौजूद थे। संचालन सुधीर सुमन और अवधेश ने किया।
सुधीर सुमन जसम के राष्ट्रीय सहसचिव हैं.