उत्तराखंड में ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए पिंडारी ग्लेशियर एक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन है. पिंडारी के साथ ही हिमालय के कई शिखरों, घाटियों में लम्बी-लम्बी यात्राओं का अनुभव बटोर चुके केशव भट्टपिंडारी से सबसे नजदीक के क़स्बे बागेश्वर में रहते हैं. वे इस ट्रेक के लिए कुछ ख़ास टिप्स दे रहे हैं. पढ़ें-
पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले टै्किंग के शौकिन अकसर परेशां से रहते हैं. गूगल के साथ ही अन्य जगहों से उन्हें जो आधी-अधूरी जानकारी मिलती है उससे वो पिंडारी के बारे में अपने दिमाग में स्वीट्जरलैंड की तरह मिलता-जुलता एक अलग ही तरह का कोलाज बना लेते है.
मसलन कि पिंडारी ग्लेशियर के नजदीक तक मोटरेबल रोड़ है जहां से वो एक ही दिन में पिंड़ारी जाकर वापस आ सकते हैं. कुछेक तो अपनी गाडि़यों में मय परिवार जिसमें उनके वृद्व माॅ-बाप टुकुर-टुकुर देख रहे होते हैं, बागेश्वर में पिंडारी ग्लेशियर जाने का रास्ता पूछते फिरते हैं.
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इनमें से कईयों को तो समझाते-समझाते मैं खुद ही परेशां हो उठा हूं, भई! ये इंडिया है और उप्पर से आप लोग उत्तराखंड के जिस कोने में अभी पहुंचे हो तो सड़कों का हाल तो आपको मालूम हो ही गया होगा. ऐसे में आप लोग ग्लेशियर के पास सड़क पहुंचने की कल्पना कैसे कर लेते हो.....
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वो गूगल समेत यहां के नक्शों का हवाला देते हैं. बमुश्किल मैं उन्हें समझाता हूं कि माॅ-बाप का यदि यहीं फाईनल जीते—जी तर्पण करना है तो आपकी मर्जी नहीं तो इन्हें कौसानी, चौकोड़ी, मुनसियारी, जागेश्वर, नैनीताल आदि जगहों में घुमाकर वापस ले जाओ.
कई बार तो दिल्ली समेत अन्य जगहों से आए चारेक दोस्त अपने जिम करने का हवाला दे पिंड़ारी जाने के लिए रास्ता पूछते हैं. उनमें उत्साह कूट-कूट कर भरा दिखता है. लेकिन जब ये वापस आते हैं तो खिसियाए हो कबूल करते हैं जो कल्पना में सोचा था उससे भयानक ही रहा. लेकिन हमने पिंडारी फतेह कर ही लिया......
टूरिस्टों, टै्करों के लूटने-पिटने के और भी अनगिनत किस्से हैं इस बारे में. बहरहाल! लंबी जद्दोजहद के बाद ख्याल आया कि इस ट्रेकिंग रूट के बारे में जानकारी देने से कुछेकों को थोड़ी मदद ही मिल जाए और वो यहां मानसिक, शारीरिक रूप से अच्छी तरह से तैंयार होकर ही जाएं ताकि वो प्रकृति का लुफत तो उठा सकें.
पिंडर घाटी समेत अन्य ग्लेशियर रूटों में जाने के लिए किस तरह से करनी है तैंयारी. इस बारे में हर पहलू के बारे में, मैं बताने की कोशिश करूंगा. फिलहाल इस फोटो को ध्यान से देखिएगा. ये इस मार्ग का एक पुराना पढ़ाव सौंग है..
आज इतना ही...
-जारी..