जनकवि गिर्दा की आज तीसरी पुण्यतिथि है. इन बीते तीन सालों में हम, लगातार उन्हें, उनकी कविता-गीतों के जरिये याद करते रहे हैं. इस बीच एक खबर यह है कि सीएनएन, आईबीएन में 350 पत्रकारों की छटनी कर दी गई. गिर्दा व्यापक सामाजिक सरोकारों के कवि थे. उनकी कविताओं के दायरे में समाज के विविध आयाम गुथे हुए हैं. ‘संपादकों के नाम पत्र’, यह कविता जाने गिर्दा ने किस विशेष सन्दर्भ पर लिखी थी. लेकिन अभी इस छटनी की घटना के बाद यह फिर प्रासंगिक हो गई है. इसे गिर्दा की इस तीसरी पुण्य तिथि में पढ़ा जाना चाहिए... -संपादक
जनकवि गिर्दा की आज तीसरी पुण्यतिथि है. इन बीते तीन सालों में हम, लगातार उन्हें, उनकी कविता-गीतों के जरिये याद करते रहे हैं. इस बीच एक खबर यह है कि सीएनएन, आईबीएन में 350 पत्रकारों की छटनी कर दी गई. गिर्दा व्यापक सामाजिक सरोकारों के कवि थे. उनकी कविताओं के दायरे में समाज के विविध आयाम गुथे हुए हैं. ‘संपादकों के नाम पत्र’, यह कविता जाने गिर्दा ने किस विशेष सन्दर्भ पर लिखी थी. लेकिन अभी इस छटनी की घटना के बाद यह फिर प्रासंगिक हो गई है. इसे गिर्दा की इस तीसरी पुण्य तिथि में पढ़ा जाना चाहिए...
इस वक्त जब मेरे देश में
पेश किये जा रहे हैं
पेड़, पेड़ों के खिलाफ
पानी, पानी के खिलाफ
और पहाड़, पहाड़ों के खिलाफ
भगत सिहों के खिलाफ भगत सिंह
प्रेमचंदों के खिलाफ प्रेमचंद
किसानों के खिलाफ किसान
जनता के खिलाफ जनता
नक्सलियों के खिलाफ
रुपहले परदे पर नक्सलवादी
ख़बरों के खिलाफ अखबार.
ओह, मेरे देश के संपादको !
तब तुम इस वक्त
जो हो, जैसे हो
हम जानते हैं,
तुम समझते हो
इसके खिलाफ क्यूँ नहीं हो रहे हो?